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आखिर शादी वाले दिन क्यों मारा जाता है मां लक्ष्मी का प्रिय तोरण? जानिए

  • Edited By palak,
  • Updated: 11 Nov, 2023 12:27 PM
आखिर शादी वाले दिन क्यों मारा जाता है मां लक्ष्मी का प्रिय तोरण? जानिए

हिंदू समाज में शादी में तोरण को मारने की रस्म आवश्यक मानी जाती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते हैं कि यह रस्म आखिर शुरु कैसे हुई थी। तो चलिए आज आपको इस आर्टिकल के जरिए बताते हैं कि शादी वाले दिन आखिर तोरण क्यों मारा जाता है।  

ऐसे शुरु हुई थी तोरण मारने की परंपरा

दंत कथानुसार माना जाता है कि एक तोरण नामक राक्षस था जो शादी के समय दुल्हन के घर द्वार पर तोते का रुप धारण करके बैठ जाता था । दूल्हा जब द्वार पर आता था तो उसके शरीर में प्रवेश कर दुल्हन से स्वंय शादी रचाकर उसे परेशान करता था। एक बार एक राजकुमार जो बहुत ही विद्वान और बुद्धिमान था शादी करने जब दुल्हन के घर में प्रवेश कर रहा था अचानक से उसकी नजर उस राक्षसी तोते पर पड़ी और उसने तुरंत तलवार से उसे मार गिराया व शादी संपन्न की। बताया जाता है कि तभी से ही तोरण मारने की परंपरा शुरु हुई है। यह प्रथाएं सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इन्हीं प्रथाओं में से एक है तोरण मारने की प्रथा जो शादी के समय दुल्हे को पूरी करनी होती है जो बहुत ही सालों से चली आ रही है। 

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क्या है तोरण का महत्व?

घर में तोरण लगाने का एक उद्देश्य है धन की देवी मां लक्ष्मी को आकर्षित और प्रसन्न करने के लिए इसे घर में लगाया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार, कई प्रकार के कपड़े, धातुओं और कई सजावटी विशेषताओं से भी बनाई जा सकती है। अधिकांश तोरण के लिए आम के पत्ते, गेंदे के फूल मिलाकर मनाए जाते हैं। कोई भी हरी पत्तियां गंदी हवाओं को शुद्ध कर स्वच्छ हवा अपने आस-पास विसर्जित करती है। 

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हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण है तोरण

हिंदू धर्म में तोरण का बहुत ही महत्व है। घर के मुख्य द्वार को सजाने के अलावा यह सुखद एवं अनुकूल स्वागत की भावना को भी प्रस्तुत करता है। घर के मुख्य द्वार पर इसे लटकाने से घर में आने वाले हर व्यक्ति के साथ पॉजिटिव एनर्जी घर में आती है जिससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 

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