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आख‍िर 30 साल के बाद बच्चा पैदा करना क्यों हो जाता है मुश्किल!

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 23 Aug, 2025 02:59 PM
आख‍िर 30 साल के बाद बच्चा पैदा करना क्यों हो जाता है मुश्किल!

नारी डेस्क : आजकल करियर, शिक्षा, आर्थिक स्थिति और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं की वजह से अधिकतर महिलाएं देर से शादी और मातृत्व की योजना बनाती हैं। लेकिन मेडिकल साइंस और स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि 30 साल के बाद महिला की प्रजनन क्षमता (Fertility) धीरे-धीरे कम होने लगती है। यही कारण है कि 30 वर्ष की आयु पार करने के बाद गर्भधारण करना पहले की तुलना में कठिन हो जाता है।

उम्र बढ़ने पर अंडों की संख्या कम होना

महिलाओं के जन्म के समय ही उनके शरीर में अंडों (eggs) की एक निश्चित संख्या होती है, जो उम्र के साथ धीरे-धीरे कम होने लगती है। 20 से 30 साल की उम्र के बीच अंडे अधिक स्वस्थ और पर्याप्त मात्रा में होते हैं, इसलिए इस उम्र में गर्भधारण करना अपेक्षाकृत आसान माना जाता है। लेकिन 30 की उम्र के बाद न सिर्फ अंडों की संख्या घटती है बल्कि उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। यही वजह है कि इस उम्र के बाद प्रेग्नेंसी की संभावना धीरे-धीरे कम होने लगती है।

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 हार्मोनल बदलाव का असर

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव भी तेजी से होने लगते हैं। 30 के बाद मासिक धर्म चक्र में अनियमितता आना, ओव्यूलेशन पर असर पड़ना और हार्मोन लेवल में गिरावट जैसी स्थितियां बनती हैं। यह सब गर्भधारण की प्रक्रिया को प्रभावित कर देते हैं।

 प्रजनन क्षमता (Fertility) में कमी

आमतौर पर 20 से 30 की उम्र में महिलाओं की प्रजनन क्षमता सबसे बेहतर होती है, लेकिन 30 साल के बाद यह धीरे-धीरे घटने लगती है। 35 से ऊपर पहुंचते-पहुंचते फर्टिलिटी रेट और भी कम हो जाता है। यही कारण है कि इस उम्र में गर्भधारण करने के लिए कई बार मेडिकल सहायता की ज़रूरत पड़ सकती है।

गर्भपात (Miscarriage) का बढ़ा खतरा

जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। इसका एक बड़ा कारण अंडों की गुणवत्ता का कम होना है। कमजोर अंडों से बने भ्रूण का गर्भ में विकसित होना मुश्किल हो जाता है, जिससे गर्भपात का जोखिम पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ जाता है।

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जीन संबंधी समस्याएं

उम्र बढ़ने पर गर्भधारण के दौरान जीन संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। 35 साल के बाद बच्चों में क्रोमोसोम से जुड़ी गड़बड़ियां होने की संभावना ज्यादा रहती है। यही कारण है कि इस उम्र में गर्भवती महिलाओं को खास मेडिकल टेस्ट और अतिरिक्त देखभाल की सलाह दी जाती है।

 स्वास्थ्य समस्याएं

30 साल के बाद महिलाओं में डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, थायरॉइड जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ये समस्याएं गर्भावस्था को जटिल बना सकती हैं और मां व बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकती हैं। इसलिए इस उम्र में गर्भधारण से पहले पूरी तरह स्वास्थ्य जांच करवाना बहुत जरूरी माना जाता है।

 शारीरिक ऊर्जा और मानसिक दबाव

गर्भधारण और बच्चे को जन्म देने के लिए शारीरिक ऊर्जा और मानसिक शांति बहुत जरूरी होती है। 30 के बाद जिम्मेदारियां बढ़ने के कारण महिलाओं को अक्सर तनाव, थकान और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गर्भधारण और प्रेग्नेंसी को मैनेज करना और भी मुश्किल हो जाता है।

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30 साल के बाद गर्भधारण करना असंभव नहीं है, लेकिन यह चुनौतीपूर्ण जरूर हो जाता है। सही जीवनशैली, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और समय-समय पर मेडिकल चेकअप करवाने से प्रेग्नेंसी की संभावना को बढ़ाया जा सकता है और जटिलताओं को कम किया जा सकता है।
 

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