जब एक महिला को पता चलता है कि वह मां बनने वाली है तो वह दिन उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन होता है। उस पल से ही वह आने वाले नन्हे मेहमान को लेकर सपने सजाने लग जाती है। हर मां चाहती है कि वह अपने बच्चे की झोली में दुनिया भर की खुशियां डाल दे। अगर मां बनना इतना सुखी अनुभव है तो क्यों बच्चे के पैदा होते ही कुछ महिलाओं से सपने देखने का हक छीन लिया जाता है। आज भी समाज को अपनी सोच बदलने की बेहद जरुरत है।
महिलाओं को कह दिया जाता है स्वार्थी
हम नहीं कहते कि हर महिला के साथ ऐसा होता है, लेकिन समाज की साेच यही होती है कि बच्चा पैदा हो गया है तो मां को बाहर जाना बंद कर देना चाहिए। कुछ लोगों का यह भी सवाल होता है कि अगर वह जॉब पर जाएगी तो उसके बच्चे की देखभाल कौन करेगा? इतना ही नहीं कुछ वर्किंग वुमेन को तो मां बनने का बाद स्वार्थी का भी टैग मिल जाता है।
हालातों के आगे टेकने पड़ते हैं घुटने
कुछ लोग तो यह भी सलाह दे देते हैं कि पहले बच्चा देखो बाद में काम देखना। जहां कुछ महिलाएं अपने आप को संभालने में सफल रहती हैं तो कुछ को हालातों के आगे घुटने टेकने पड़ते हैं। यही वजह है कि अक्सर महिलाएं अपनी जॉब के साथ समझौता कर लेती हैं और बच्चे के लिए अपने सपनों को तोड़ देती हैं। एक रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी कि 50% वर्किंग महिलाओं को 30 साल की उम्र में अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए नौकरी छोड़नी पड़ती है।
मां को कर दिया जाता है जज
मैटरनिटी लीव खत्म होने के बाद महिलाओं के लिए सिचुएशन ज्यादा टफ हो जाती है, घर के हालात और समाज के तानों से बचने के लिए उन्हें अपने सपनों का दम घोटना ही पड़ता है। वह भी क्या करे हमारे समाज की साेच ही ऐसी है, बिना सोचे समझे मां के तौर पर उनके रोल को जज जो कर दिया जाता है। परेशानियां यहीं खत्म नहीं होती है जब आपका बच्चा स्कूल जाना शुरू करता है तब भी उसकी गिरती परफॉर्मेंस के लिए मां ही जिम्मेदारी मान ली जाती है।
हर मां काे है सपने देखने का हक
बड़ी आसान से कह दिया जाता है कि अगर बच्चे से ज्यादा काम पर ध्यान दोगी तो वह अच्छे से कैसे पढ़ पाएगा। पर हम यह क्यों नहीं सोचते कि एक व्यक्ति की कमाई से पूरे परिवार की जरूरतों को पूरा कर पाना मुश्किल हो जाता है और अगर बात सिंगल मदर की हो तो महिला की जिम्मेदारी कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। इसलिए हम तो यही कहेंगे सोच बदलो हर मां के सपने देखने का हक है।
अगर आप भी वर्किंग मदर है तो ये कुछ टिप्स आपका काम आसान कर सकते हैं:-
-अगर घर पर बच्चे के साथ रहने वाला कोई नहीं तो ऑफिस के नजदीक ही अच्छा सा डे केयर चुन लें।
-मां बनने के बाद कई शारीरिक बदलावों का होना नॉर्मल है, ऐसे में ऑफिस में कंफर्टेबल फील करें।
-वर्किंग वुमन होने के चलते कभी भी मन में अपने बच्चे को समय न दे पाने का गिल्ट न करें।
-इस बात पर गर्व करें कि आपका करियर बेबी की अच्छी परवरिश करने में मदद करेगा।
-जब घर पर हों तो प्रोफेशनल लाइफ से दूर रहें।
-घर के कामों के लिए अपने पार्टनर से सहायता लेने में न हिचकें