कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रिकवरी के बाद भी मरीजों के फेफड़े खराब हो रहे हैं, खासकर जिन्हें गंभीर कोरोना संक्रमण हो। शुरूआत में वैज्ञानिक इसका पता नहीं लगा पा रहे थे लेकिन अब वैज्ञानिकों ने कोरोना मरीजों के फेफड़े के बेकार होने की वजह पता लगा ली है।
कोरोना मरीजों के फेफड़े क्यों हो रहे खराब?
कोरोना वायरस का गंभीर संक्रमण के वजह से इंसान के फेफड़े बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जो रिकवरी के बाद भी ठीक नहीं होते। ब्रिटेन की किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों के बताया कि असामान्य कोशिकाओं की वजह से हो रहा है। दरअसल, कोरोना के ज्यादातर मामलों में मरीजों की कोशिकाएं असामान्य तरीके से आपस में जुड़ जाती हैं, जिसके वजह से फेफड़े खराब हो जाते हैं।
निमोनिया जैसे 90% लक्षण
शोधकर्ताओं ने कोरोना की वजह से जान गवां चुके 41 लोगों के फेफड़े, दिल, गुर्दा का विश्लेषण किया, जिसके बाद वायरस के व्यवहार के बारे में जानकारी प्राप्त की गई। इसमें ज्यादातर मामलों में फेफड़े खराब हो चुके थे। वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना के 90% मामलों में निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई दे रहे थे।
मरीजों में बन रहे खून के थक्के
आसामान्य कोशिकाओं के अलावा मरीजों के फेफड़ों की धमनियों व शिकाओं में खून के थक्के बनने की दिक्कत भी देखी गई। वहीं, फेफड़ों में बनी आसामान्य कोशिकाएं आपस में जुड़ गई और एक बड़ी एकल कोशिका में बदल गई। इसकी वजह से फेफड़े अपना काम नहीं कर पा रहे थे। इसलिए कोरोना मरीजों को लंबे समय थकान, सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां भी हो रही हैं, जिसे ‘लॉन्ग कोविड’ कहते हैं।
'लैदर बॉल' की तरह सख्त हो रहे फेफड़े
वहीं, कर्नाटक में 62 साल के एक बुजुर्ग के फेफड़े लैदर बॉल की तरह सख्त हो गए थे। यही नहीं, बुजुर्ग के फेफड़े ने काम करना भी बंद कर दिया था। फेफड़ों में हवा भरने वाला हिस्सा भी खराब हो चुका था और कोशिकाओं में खून के थक्के बनने लगे थे। इसके कारण बुजुर्ग की मौत की नौबत आ गई थी।
ऐसे में कोरोना से ठीक होने के बाद भी अगर आपको कोई समस्या आ रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।