प्रसिद्ध पार्श्व गायिका लता मंगेशकर 6 फरवरी के दिन दुनिया को अलविदा कह गई। उनके निधन से पूरे देश की आंखें नम है। उन्होंने अपने पूरे करियर में करीब 30 हजार गाने गाए। लता जी ने ना सिर्फ संगीत की दुनिया में अपना अतुल्य योदगान दिया बल्कि समय-समय पर वह लोगों की मदद के लिए आगे आईं। लता जी के शानदार करियर के असंख्य अध्याय बांग्लादेश के दिल के करीब है, जब वह 1971 युद्ध दौरान शर्णार्थियों की मदद के लिए आगे आईं।
जब शरणार्थियों के लिए जुटाया था फंड
लता ने पूरे भारत में संगीत समारोहों किए और उनके द्वारा जुटाई धनराशि को उन लाखों शरणार्थियों के लिए इस्तेमाल किया, जो युद्ध के दौरान बांग्लादेश से भारत आए थे। उन्होंने फिल्म "रक्ततो बांग्ला" में "ओ दादाभाई" गीत भी गाया, जो दिसंबर, 1972 में रिलीज हुई थी।
युद्ध को याद करते हुए लता जी ने 14 सितंबर 2019 को अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर एक किस्सा भी शेयर किया था। उन्होंने लिखा था, "नमस्कार... जैसे ही 1971 बांग्लादेश युद्ध समाप्त हुआ, हम बांग्लादेश गए और हमने बॉलीवुड अभिनेता सुनील दत्त के ग्रुप के साथ कई कार्यक्रम किए। उस समय, हम सेना के विमान से चारों ओर आते थे।" बता दें कि लता उस भारतीय सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थीं, जिसने ढाका में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल में अन्य अभिनेत्री वाहिदा रहमान, संजय दत्त और उनके पिता-अभिनेता सुनील दत्त भी थे।
फंड के लिए गाए थे बैक-टू-बैक 26 गाने
यही नहीं, साल 1987 में लता जी ने जयपुर के एक कार्यक्रम में 3 घंटे में 26 गाने गाए थे, जोकि जयपुर के लिए उनका पहला और आखिरी टूर था। दरअसल, उस समय जब राजस्थान में अकाल पड़ा तो उन्होंने लता जी से फंड जुटाने के लिए संपर्क किया। लता जी बिना किसी फीस के प्रोग्राम करने के लिए जयपुर पहुंची। आमतौर पर वह एक प्रोग्राम में 20 से ज्यादा गीत नहीं गाती लेकिन उस वक्त के लिए उन्होंने बैक-टू-बैट 26 गाने गाए। इस कार्यक्रम से 1.01 करोड़ रुपए का फंड जमा हुआ था, जिसे तत्कालीन सीएम हरिदेव जोशी को सौंपा था। इस प्रोग्राम में लता जी के अलावा मोहम्मद अजीज, उषा मंगेशकर और नितिन मुकेश ने भी परफॉर्म किया था।
कल उनके निधन के बाद, पश्चिम बंगाल की संगीत बिरादरी ने महान गायिका को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने बांग्ला में यादगार हिट का निर्माण करने के लिए सचिन देब बर्मन, हेमंत मुखर्जी और सलिल चौधरी जैसे कुछ शीर्ष संगीत निर्देशकों के साथ सहयोग किया। मंगेशकर, जिन्होंने बंगाली में लगभग 185 गाने गाए थे, उनके प्रशंसक यहां 'आकाश प्रदीप ज्वोले' (द लाइट बर्न्स इन द स्काई) और 'प्रेम एकबार एसेचिलो नीरोब' (प्यार एक बार चुपचाप आया) जैसे क्लासिक्स के लिए याद करते हैं।