मां बनना हर महिला के लिए एक खूबसूरत एहसास होता है। एक औरत कंसीव करने के बाद से ही मां का अनुभव महसूस करने लग जाती है। मगर, कई बाद प्रेगनेंसी के कुछ हफ्तों में ही मिसकैरेज हो जाता है, जिसे क्रेमिकल प्रेगनेंसी कहा जाता है। क्रेमिकल प्रेगनेंसी का मतलब शुरुआती चरण में ही मिसकैरेज होना। अर्बाशन के करीब 50 से 75% मामलें महिलाओं क्रेमिकल प्रेगनेंसी के ही होते हैं। अगर महिलाएं नियमित प्रेगनेंसी टेस्ट ना करें तो उन्हें पता भी नहीं चलेगा कि उनकी केमिकल प्रेगनेंसी हुई है।
क्या है केमिकल प्रेगनेंसी?
एक्सपर्ट के मुताबिक, जब महिलाओं के शरीर में HCG हार्मोन (ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन) का स्तर बढ़ जाता है तब प्रेगनेंसी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसमें प्रेगनेंटी रिजल्ट तो पॉजिटिव आता है लेकिन अल्ट्रासाउंड में भ्रूण दिखने से पहले ही मिसकैरेज हो जाता है। डॉक्टर खून से केमिकल प्रेगनेंसी की जांच करते हैं। रिजल्ट पॉजिटिव आने 1-2 हफ्ते में भी मिसकैरेज होता है।
दरअसल, साधारण प्रेगनेंसी में फर्टिलाइज्ड एग आखिरी मासिक धर्म और प्रेगनेंसी के पहले दिन से लगभग 4 सप्ताह बाद गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपित होता है। नाल बन जाने वाली कोशिकाएं गर्भावस्था के हार्मोन एचसीजी (मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) के स्तर का उत्पादन करना शुरू करती हैं, जो रक्त या यूरिन से प्रेगनेंसी का पता लगाने के लिए काफी है। मगर, केमिकल प्रेगनेंसी में ऐसा नहीं होता। कोशिकाएं भ्रूण और नाल में विकसित नहीं होती हैं।
केमिकल प्रेग्नेंसी के लक्षण
कई महिलाओं को यह एहसास नहीं होता है कि उन्हें केमिकल प्रेगनेंसी थी क्योंकि इसमें बहुत कम लक्षण सामने आते हैं जैसे
. पेट में हल्की ऐंठन और दर्द
. प्रेगनेंसी कंफर्म होने के बाद ब्लीडिंग होना
. HCG हार्मोन का बढ़ना, जो जांच से पता चलता है
. पीरियड्स देर से आना
केमिकल प्रेगनेंसी के कारण
. आमतौर पर जींस या क्रोमोसोम में गड़बड़ी आना
. गर्भाशय की लाइनिंग सही ना होना
. हार्मोन असंतुलित होना
. शुक्राण या अंडे की गुणवत्ता अच्छी ना होना
. किसी तरह का इंफैक्शन
. 35 उम्र के बाद गर्भधारण करना
. थायराइड या खून के थक्के बनना (जैसे हीमोफीलिया)
केमिकल प्रेगनेंसी रिस्क फैक्टर
केमिकल प्रेगनेंसी के कई रिस्क फैक्टर समान्य गर्भावस्था में मुश्किल खड़ी कर सकते हैं जैसे
. 35 या उससे अधिक उम्र का होना
. रक्त केथक्के का इलाज ना करवाना
. थायराइड ट्रीटमेंट ना लेना
. अनियंत्रित डायबिटीज
क्या केमिकल्स प्रेगनेंसी के बाद होती है ब्लीडिंग?
ऐसा जरूरी नहीं है कि केमिकल्स प्रेगनेंसी के बाद लाइट स्पॉटिंग या ब्लीडिंग हो। हालांकि कुछ महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग का अनुभव होता है, जो एक संकेत है कि आप गर्भवती हैं। वहीं, दूसरी ओर, भारी रक्तस्राव और मासिक धर्म जैसी ऐंठन भी केमिकल गर्भावस्था के संकेत हैं।
केमिकल प्रेग्नेंसी का इलाज
वैसे इसका कोई इलाज तो मौजूद नहीं है लेकिन आप डॉक्टर से सलाह लेकर कुछ टेस्ट करवा सकती हैं। इससे दोबारा केमिकल प्रेगनेंसी का खतरा कम रहता है। कई मामलों में एंटीबायोटिक से संक्रमण को साफ करके दोबारा कंसीव करने की संभावना बढ़ाई जाती है। वहीं, मिसकैरेज गर्भाशय में किसी प्रॉब्लम की वजह से हुआ हो तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं।
क्या केमिकल प्रेगनेंसी के बाद कर सकते हैं कंसीव?
केमिकल प्रेगनेंसी का मतलब यह नहीं कि आप दोबारा कंसीव नहीं कर सकती। यह एक ऐसी अवस्था नहीं है, जिसके कारण कभी मां ना बन पाए। HCG का स्तर बढ़ने पर एक्टोपिक यानि सामान्य प्रेगनेंसी भी हो सकती है। हालांकि इसके बारे में अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।