
नारी डेस्क : किडनी ट्रांसप्लांट एक बेहद जटिल लेकिन जीवन रक्षक सर्जरी होती है। जब किसी व्यक्ति की दोनों किडनियां ठीक से काम करना बंद कर देती हैं और डायलिसिस से राहत नहीं मिलती, तब डॉक्टर ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। लेकिन ज़्यादातर लोगों के मन में यह सवाल उठता है।“नई किडनी लगने के बाद पुरानी खराब किडनी का क्या होता है?” आइए जानते हैं की पुरानी खराब किडनी का क्या होता है।
क्या होता है पुरानी किडनी का?
Nyulangone Health की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर मामलों में डॉक्टर पुरानी किडनियों को शरीर के अंदर ही छोड़ देते हैं। भले ही वे काम न कर रही हों, लेकिन शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं। मेडिकल भाषा में इन्हें Non-Functional Kidneys कहा जाता है। समय के साथ ये किडनियां सिकुड़ जाती हैं और शरीर में बिना किसी दिक्कत के बनी रहती हैं। नई किडनी को उसी जगह नहीं लगाया जाता जहां पुरानी होती है। बल्कि डॉक्टर उसे पेट के निचले हिस्से (Lower Abdomen) में लगाते हैं, ताकि ब्लड सप्लाई और ब्लैडर से कनेक्शन आसानी से हो सके। इसका मतलब है कि कई ट्रांसप्लांट मरीजों के शरीर में तीन किडनियां होती हैं — दो पुरानी और एक नई!

कब हटाई जाती है पुरानी किडनी?
हर मामले में पुरानी किडनी को शरीर में छोड़ना सुरक्षित नहीं होता। कुछ स्थितियों में डॉक्टर इसे निकालना ज़रूरी समझते हैं। जैसे कि अगर किडनी में बार-बार इंफेक्शन हो रहा हो, या वह इतनी बड़ी हो गई हो कि पेट में दर्द और सूजन पैदा करने लगे। इसके अलावा, अगर किडनी में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी पाई जाए या वह नई किडनी के काम में रुकावट डाल रही हो, तो सर्जरी के दौरान या उससे पहले पुरानी किडनी को हटा दिया जाता है ताकि आगे किसी जटिलता का खतरा न रहे।

नई किडनी ही करती है सारा काम
भले ही पुरानी किडनियां शरीर में बनी रहती हैं, लेकिन उनका कोई रोल नहीं रहता। नई किडनी ही शरीर के सारे काम संभाल लेती है। खून को फिल्टर करना, यूरिन बनाना और टॉक्सिन्स बाहर निकालना। इस तरह, पुरानी किडनी सिर्फ शरीर के भीतर “शांत दर्शक” की तरह रह जाती है, जबकि नई किडनी असली हीरो की तरह काम करती है।