
नारी डेस्क: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान एक बार फिर दर्दनाक हादसा हुआ है। रविवार सुबह गौरीकुंड के पास एक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया, जिसमें अब तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। हादसे में हेलिकॉप्टर के पायलट समेत सभी यात्री मारे गए हैं।
क्या है हादसे की पूरी जानकारी?
हेलिकॉप्टर केदारनाथ से फाटा की ओर जा रहा था, तभी गौरीकुंड के पास खराब मौसम की वजह से क्रैश हो गया। प्रशासन और स्थानीय लोगों को हादसे की जानकारी मिलते ही राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए गए। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं और मृतकों के शव जिला अस्पताल भेज दिए गए हैं।
हादसों का सिलसिला क्यों नहीं थम रहा?
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले, 7 जून को भी इसी इलाके में एक हेलिकॉप्टर की तकनीकी खराबी के चलते सड़क पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई थी। लगातार हो रहे हादसों ने यात्रियों और परिजनों की चिंता बढ़ा दी है, और प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं – "आखिर कब तक?"
DGCA ने पहले भी उठाए थे सख्त कदम
हेलिकॉप्टर हादसों को रोकने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने कुछ महीने पहले कड़े कदम उठाए थे। हेलीकॉप्टर के दैनिक फेरे घटाए गए। अब हर एक घंटे में सिर्फ दो बार हेलिकॉप्टर उड़ान भर सकता है। यात्रियों की सुरक्षा और मौसम की जानकारी को प्राथमिकता दी जा रही है। फिर भी, लगातार हो रही दुर्घटनाएं प्रशासन और DGCA की तैयारियों पर सवाल खड़े कर रही हैं।
हादसे की जांच के आदेश
उत्तराखंड सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच के बाद ही सटीक कारण सामने आ सकेंगे। शुरुआती जानकारी के अनुसार, खराब मौसम को हादसे का कारण माना जा रहा है।

यात्रियों में डर का माहौल
चारधाम यात्रा के दौरान बार-बार हो रहे इन हादसों के कारण यात्रियों में डर और बेचैनी का माहौल है। सरकार से मांग की जा रही है कि यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत की जाए और हेलिकॉप्टर सेवाओं की गहन जांच की जाए।
चारधाम यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए सरकार भले ही प्रयास कर रही हो, लेकिन लगातार हो रहे हेलिकॉप्टर हादसे यात्रियों की जान पर भारी पड़ रहे हैं। जरूरी है कि उड़ानों की संख्या कम करने के साथ-साथ तकनीकी जांच, पायलट प्रशिक्षण और मौसम की निगरानी को और सख्त किया जाए।