नारी डेस्कः नवजात से लेकर 5 साल तक के बच्चे को पूर्ण तौर पर अपनी मां की देखभाल की जरूरत रहती हैं क्योंकि वह बोलकर या स्पष्ट तौर पर अपनी समस्या नहीं बता पाते इसलिए मां को ही बच्चे की सेहत से जुड़ी हर छोटी बड़ी बात पर गौर करने की आवश्यकता रहती हैं। आपका बच्चा डायपर पहनता है तो बता दें कि बच्चे का डायपर भी उसके स्वास्थय के बारे बहुत कुछ बताता है जी हां हम बात कर रहे हैं नवजात के पूप की।
दरअसल, अगर बच्चे की सेहत सही नहीं होगी तो उसके मल का रंग बदल जाएगा और हर बार रंग बदलने का अलग ही कारण हो सकता है। बहुत से बाल रोग विशेषज्ञ नए-नए माता-पिता बने कपल को बेबी पूप गाइड भी प्रदान करते हैं ताकि उन्हें इस बात की जानकारी पहले से रहे कि उन्हें कब डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता है। चलिए आज के आर्टिकल में इसी बारे में आपको बताते हैं।
शिशु मल के प्रकारः शिशु का पूप का रंग कई तरह का हो सकता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके शिशु की आयु और उसकी डाइट क्या है?
नवजात शिशु के पहले दिनों का मल काला चिपचिपा
जन्म के बाद पहले कुछ दिनों में आपके बच्चे का मल अलग दिखता है। नवजात शिशुओं का मल हरा-काला, चिपचिपा, चिपचिपा होता है जो मोटर ऑयल जैसा भी दिखता है। इसे मेकोनियम कहा जाता है और यह एमनियोटिक द्रव, बलगम, त्वचा कोशिकाओं और गर्भ में निगली गई अन्य चीज़ों से बना होता है। जन्म के दो से चार दिन बाद बच्चे का मल कम हरा और चिपचिपा होता जाता है।
स्तनपान करने वाले बच्चे का मल
जो बच्चे स्तनपान करते हैं उनका मल सरसों पीले, हरे या भूरे रंग का होना सामान्य है। यह दस्त जैसा भी लग सकता है। स्वस्थ स्तनपान करने वाले बच्चे के मल में कम गंध आती है। स्तनपान करने वाले या बोतल से दूध पीने वाले शिशुओं में मल का नारंगी, पीला या भूरे रंग का होना पूरी तरह से सामान्य है।
फॉर्मूला फीड लेने वाले बेबी का पूप
स्वस्थ फॉर्मूला दूध पिलाने वाले बच्चे का मल भी आमतौर पर पीले या भूरे रंग का होता है। फॉर्मूला दूध पीने वाले बच्चे, स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में कम, लेकिन बड़ा और बदबूदार मल त्यागते हैं।
शिशु के मल में आधा पचा भोजन
बच्चे कुछ आहार पूरी तरह से पचा नहीं पाते और वह पदार्थ आंतों से इतनी तेज़ी से गुजरते हैं कि वे पूरी तरह से टूट नहीं पाते हैं। इसी वजह से वह बच्चे के मल में भोजन के टुकड़ों के रूप में दिख सकता है
हरा शिशु मल
जिन शिशुओं को आयरन-सप्लीमेंट दिया जाता है, उनका मल अक्सर हरा होता है। ऐस तब हो सकता है जब आपका शिशु 4-6 महीने का हो और आप उसके आहार में ठोस, हरे खाद्य पदार्थ - जैसे कि प्यूरी
किए हुए मटर, पालक और बीन्स - शामिल किए जा रहे हो।
यदि शिशु के मल में इनमें से कोई भी चेतावनी संकेत दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।
शिशु का मल बहना
शिशुओं में दस्त हरा, पीला या भूरा और बहता हुआ हो तो यह संक्रमण या एलर्जी का संकेत हो सकता है। यदि इसका उपचार लंबे समय तक न किया जाए तो बच्चे के निर्जलीकरण का कारण बन सकता है।
कठोर, कंकड़ जैसा शिशु मल
शिशु का मल कठोर और कंकड़ जैसा होना कब्ज़ का संकेत है। यह दूध या सोया के प्रति संवेदनशीलता या स्तन के दूध या फ़ॉर्मूले में किसी चीज़ के प्रति असहिष्णुता का संकेत भी हो सकता है। अगर कब्ज है तो आप डाक्टरी सलाह से खाने पीने की चीजों में बदलाव कर सकते हैं।
शिशु के मल में लाल रक्त
बच्चे का लाल मल, मल में खून होने का संकेत हो सकता है और यह प्रोटीन एलर्जी का संकेत भी हो सकता है। दस्त में लाल रक्त का मतलब बच्चे को जीवाणु संक्रमण भी है। वहीं अगर स्तनपान करवाने वाली मां कोई लाल आहार का अधिक सेवन कर रही हो तो भी मल लाल हो सकता है जैसे चुंकदर का अधिक सेवन। इसके लिए डाक्टर से जांच करवाना बहुत जरूरी है।
शिशु के मल में बलगम
बच्चे के मल में हरे रंग की धारियाँ आना बलगम होने का संकेत है। ऐसा तब होता है जब बच्चा लार टपका रहा हो। बच्चे के मल में बलगम होना इंफेक्शन का भी संकेत है।
सफेद शिशु मल
चाक जैसा सफ़ेद मल एक चेतावनी संकेत है कि शिशु भोजन को ठीक से पचा नहीं पा रहा है और य़ह किसी बड़ी सेहत समस्या का संकेत भी हो सकता है लेकिन डॉक्टर से जांच करवाना अच्छा विचार है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी गंभीर बीमारी का लक्षण तो नहीं है।