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तुलसी विवाह से पहले रखें इन बातों के ध्यान नहीं तो मां लक्ष्मी हो सकती हैं नाराज

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 03 Nov, 2022 11:24 AM
तुलसी विवाह से पहले रखें इन बातों के ध्यान नहीं तो मां लक्ष्मी हो सकती हैं नाराज

प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी को एक पवित्र पौधे के रूप में पूजा जाता है। मान्यताओं को अनुसार, तुलसी को माता लक्ष्मी का ही एक स्वरूप माना जाता है। इस विवाह में तुलसी के पौधे को दुल्‍हन की तरह सजाया जाता है और तुलसी जी का विवाह शालीग्राम यानी भगवान विष्णु के स्वरूप के साथ कराया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह 05 नवंबर 2022 को है। आइए जानते हैं तुलसी विवाह के मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि के बारे में। 

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तुलसी विवाह तिथि व शुभ मुहूर्त 

कार्तिक द्वादशी तिथि आरंभ- शनिवार 05 नवंबर 2022 संध्या 06:08 से
कार्तिक द्वादशी तिथि समाप्त- रविवार 06 नवंबर 2022 संध्या 05:06 तक
इस साल तुलसी विवाह का पर्व शनिवार 05 नवंबर 2022 को मनाया जाएगा। 

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तुलसी विवाह का महत्व 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन श्री हरि (विष्णु भगवान) चार महीनों के लिए योगनिद्रा में लीन रहते हैं और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। भगवान विष्णु के जागृत होने के बाद उनके शीलाग्राम अवतार के साथ तुलसी जी का विवाह करवाए जाने की परंपरा है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति पूरे श्रद्धा भाव से व्रत करता है उसे एक हजार यज्ञ करने जितने फल की प्राप्ति होती है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी जी और शालीग्राम का विवाह कराने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जोती है। इस दिन के बाद से ही शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाते हैं।

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तुलसी विवाह के लिए पूजन सामग्री

तुलसी का पौधा, भगवान विष्णु की प्रतिमा, चौकी, गन्ना, मूली, आंवला, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा, सीताफल, अमरूद सहित अन्य मौसमी फल, धूप, दीपक, वस्त्र, फूल और माला, सुहाग का सामान, सुहाग का प्रतीक, लाल चुनरी, साड़ी, हल्दी।

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पूजन विधि

तुलसी विवाह का पूजन संध्या काल में किया जाता है। 
तुलसी विवाह के लिए एक चौंकी पर वस्त्र बिछाएं और उसमें तुलसी का पौधा और शालिग्राम को स्थापित करें। 
इसके बाद तुलसी जी और शालीग्राम में गंगाजल छिड़कें। 
चौंकी के पास एक कलश में जल भरकर रखें और घी का दीप जलाएं। 
उसके बाद तुलसी और शालीग्राम को रोली व चंदन का तिलक करें। 
तुलसी पौधे के गमले में गन्ने का मंडप बनाएं। 
तुलसी पौधे की पत्तियों में सिंदूर लगाकर, लाल चुनरी चढ़ाएं और श्रृंगार का सामान सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि चढ़ाएं। 
हाथ में शालीग्राम रखकर तुलसी जी की परिक्रमा करें और इसके बाद आरती करना न भूलें। 
पूजा समाप्त होने के बाद हाथ जोड़कर तुलसी माता और भगवान शालीग्राम से सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करें।

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