नारी डेस्क: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस की पूर्व डेमोक्रेट सदस्य हिंदू अमेरिकी तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है। अमेरिका में हिंदुओं के मुद्दों को मुखरता से उठाने में तुलसी का बेहद अहम योगदान है। चलिए आज आपको बताते हैं भारत से ताल्लुक रखने वाली तुलसी गबार्ड के बारे में विस्तार से।
ट्रंप को है तुलसी पर बेहद भरोसा
ट्रंप ने बुधवार को ट्रुथ सोशल पर इस पद के लिए अपनी नियुक्ति की घोषणा करते हुए कहा था- "तुलसी हमारे खुफिया समुदाय में निडर भावना लेकर आएंगी, जिसने उनके शानदार करियर को परिभाषित किया है, वे हमारे संवैधानिक अधिकारों की पैरवी करेंगी और ताकत के माध्यम से शांति सुनिश्चित करेंगी।" वह अमेरिकी कैबिनेट में दूसरी हिंदू बन जाएंगी, इससे पहले विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति कार्यालय की निदेशक आरती प्रभाकर थीं, जो अब बिडेन के साथ काम कर रही हैं।
21 की उम्र में आई राजनीति में
तुलसी गबार्ड ने जब अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, तब उनकी उम्र करीब 21 साल थी। वह 2004 में कांग्रेस के लिए चुनी गई पहली हिंदू बनीं और उन्होंने भगवद गीता को साक्षी मानकर पद की शपथ ली थी। डेमोक्रेटिक पार्टी की एक उभरती हुई सितारा, वह डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी की उपाध्यक्ष थीं, लेकिन उन्होंने 2016 में पार्टी के नेतृत्व पर हिलेरी क्लिंटन को पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अलोकतांत्रिक तरीके से बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया। वह 2020 के डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के नामांकन के लिए असफल रहीं और 2019 में एक उम्मीदवार की बहस के दौरान उन्होंने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस पर एक यादगार हमला किया, जिसमें उन्होंने कैलिफोर्निया में अपने अभियोक्ता के कैरियर के दौरान अफ्रीकी-अमेरिकियों और रंग के लोगों को निशाना बनाने के अपने रिकॉर्ड के कारण पाखंड का आरोप लगाया।
भारतीय धर्म से है गहरा नाता
जब ट्रम्प हैरिस के साथ अपनी बहस की तैयारी कर रहे थे, तब गैबार्ड कथित तौर पर उनके सलाहकारों में से एक थीं। राजनीति के अलावा तुलसी गबार्ड दो दशकों से अधिक समय से आर्मी नेशनल गार्ड से जुड़ी हुई हैं और इस दौरान वो इराक़ और क़ुवैत जैसे देशों में काम कर चुकी हैं। गबार्ड का भारतीय धर्म और संस्कृति से गहरा संबंध है। उनकी मां कैरल ने हिन्दू धर्म अपना लिया था, हिंदू धर्म में उनकी रुचि के कारण उन्होंने अपनी बेटी नाम तुलसी रखा गया। तुलसी ने अपने भारतीय वंश का हमेशा गर्व किया है और उनका ये जुड़ाव अमेरिका में उनकी पहचान का एक अहम हिस्सा है।
भगवद गीता को बना लिसा अपना मार्गदर्शक
किशोरावस्था में ही उन्होंने हिंदू पहचान अपना ली और पवित्र भगवद गीता को अपना मार्गदर्शक बना लिया। वह अकसर गीता से सीखी गईं चीजों को बखान करती हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि- गीता 'सफलता या असफलता में अपना संतुलन बनाए रखने की कोशिश करना सिखाती है।' जब तुलसी सैन्यकर्मी के रूप में पश्चिम एशिया में तैनात थीं तब भगवान कृष्ण की सीख को युद्ध के मैदान में बखूबी इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया- युद्ध के दौरान मुझे आत्मा की शाश्वतता और ईश्वर के बिना शर्त प्रेम के भग्वद्गीता के संदेश में बहुत आराम और आश्रय मिला।'
2019 में की थी पीएम मोदी से मुलाकात
2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद, गबार्ड ने कहा था- "भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण भागीदारों में से एक है।" उन्होंने कहा, "हमने उन महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखने की आवश्यकता के बारे में बात की, जो हमें और दुनिया को प्रभावित करते हैं।" उन्होंने कहा, "हमने कश्मीर की स्थिति, नागरिक अधिकारों, महिलाओं को सशक्त बनाने और गरीबी को दूर करने के साथ-साथ ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बारे में चिंता पर चर्चा की।"