आज अधिकांश महिलाएं कामकाजी हैं। गर्भावस्था में भी अधिकांश समय उन्हें अपने काम पर जाना होता है क्योंकि पूरे नौ माह तक तो वे छुट्टी लेकर घर पर नहीं रह सकती हैं। एक सामान्य गृहिणी की तुलना में एक कामकाजी महिला को गर्भावस्था में विशेष सावधानी और सतर्कता बरतनी चाहिए ताकि गर्भस्थ शिशु का विकास स्वस्थ और संतुलित हो।
यह करें
•अपने बॉस को अपने गर्भवती होने की बात बता दें ताकि वह आपसे ऐसा कोई काम नहीं ले जो गर्भस्थ शिशु के लिए घातक हो।
• पात्रता अनुसार मातृत्व अवकाश ले लें ताकि उतने समय दफ्तर के झंझट से मुक्त रहें।
• दफ्तर में सहज और सामान्य रहें। यदि असहजता लगे तो अपनी किसी महिला साथी से कहें ताकि वह आपको संभाल सके।
• यदि दफ्तर में लिफ्ट लगी हो तो उसका इस्तेमाल करें।
• दफ्तर में आरामदायक वस्त्र पहन कर आएं।
• जिस कुर्सी पर बैठकर आपको काम करना है, वह आपके लिए उपयुक्त और सुविधाजनक हो अन्यथा उसे बदलवा लें।
• दफ्तर में अपना नाश्ता व लंच साथ ले जाएं तथा समय पर करें।
यह न करें
• दफ्तर में कोई भी भारी वजन न उठाएं न सरकाएं।
• अनावश्यक रूप से सीढ़ियां न चढ़ें क्योंकि सीढ़ियां चढ़ते-उतरते समय पैर फिसल सकता है।
• एक ही मुद्रा में घंटों न बैठी रहें अपितु हर आधा घंटे बाद अपनी मुद्रा बदल लें या थोड़ा चल-फिर लें।
• जहां तक संभव हो दफ्तर के कार्य से टूर न करें क्योंकि यह टूर जोखिमपूर्ण साबित हो सकता है। खासतौर पर शुरू के व बाद के दो महीनों में यात्रा से बचें।
• यदि आप दोपहिया वाहन से दफ्तर आती-जाती हैं तो अपने वाहन को सही हालत में रखें। बेहतर होगा कि सैल्फ स्टार्टर वाहन हो क्योंकि गर्भावस्था में किक लगाना ठीक नहीं होगा।
• बहुत देर न तो लगातार खड़ी रहें न बैठी रहें ये दोनों ही स्थितियां ठीक नहीं हैं।
• अत्यधिक चुस्त कपड़े, हाई हील के सैंडल आदि न पहनें।