भारत ने सफलतापूर्वक चंद्रयान- 3 ने चंद की सतह पर लैड करवा कर इतिहास रच दिया है। 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने वाला चंद्रयान- 3 40 दिन बाद बुधवार की शाम 6: 04 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों की तरह बढ़- चढ़ कर अपना योगदान दे रही हैं और विज्ञान का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। बता दें इस बड़ी उपलब्धि को हासिल करने में सिर्फ पुरुषों का ही नहीं बल्कि महिलाओं का भी बहुत बड़ा योगदान है। तो चलिए आज आपको बताते हैं इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) की उन female scientists के बारे में जिन्होंने चंद्रयान-3 को सफल बनाने में अपना योगदान दिया और भारत का नाम रोशन किया है।
अनुराधा टी
ये इसरो की सबसे वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक हैं, जो 1982 से यहां पर काम कर रही हैं। बता दें ये इसरो में सैटेलाइट प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनने वाली पहली महिला भी थीं।
मुथैया वनिता
मुथैया एक भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं, जिन्होंने इसरो में सैटेलाइट प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व किया है।
डॉ कल्पना
डॉ कल्पना ने डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर 4 साल तक मून मिशन पर कड़ी मेहनत की है। उन्होंने सारी बारीक गतिविधियों पर नजर रखी। कोविड के दौरान पैदा हुई मुश्किलें भी उनके हौसले को डिगा नहीं पाई। इन्हें ISRO में नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
मीनल रोहित
मीनल का भी चंद्रयान- 3 मिशन की सफलता में बड़ा हाथ है। वो इसरो में सिस्टम इंजीनियर हैं।
रितु करिधाल
रॉकेट वुमन के नाम से चर्चित रितु करिधाल यूपी के लखनऊ की रहने वाली हैं। चंद्रयान- 3 से पहले वो प्रोजक्ट चंद्रयान- 2 की भी डायरेक्टर रह चुकी हैं। रितु मंगलयान मिशन में डिप्टी डायरेक्टर भी रह चुकी है और इस मिशन को उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया था। चंद्रयान- 3 मिशन में उन्होंने 54 महिला इंजिनियर की टीम को लीड किया है।
मौमिता दत्ता
मौमिता एक भारतीय भौतिक विज्ञानी हैं जो ISRO में एक वैज्ञानिक/इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं।
वी. आर. ललितांबिका
डॉ. वी. आर. ललितांबिका एक भारतीय इंजीनियर और वैज्ञानिक हैं जो ISRO के साथ काम कर रही हैं।