दुनियाभर में 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाया जाता है, जिसका मकसद्द भूमि प्रदूषण को रोकना है। जिंदगी जीने के लिए भोजन, कपड़े, आश्रय, पानी के साथ मिट्टी का भी काफी महत्व है क्योंकि भूमि ही हमें भोजन देती है। प्रदूषण, लगातार बढ़ रही जंनसख्या और खेती में केमिकलों के इस्तेमाल का असर पर्यावरण और सेहत के साथ-साथ मिट्टी पर भी पड़ रहा है। नतीजन, देश की उपजाऊ मिट्टी की क्वालिटी खराब होती जा रही है।
क्यों जरूरी हैं मिट्टी में पोषक तत्व?
बता दें कि सब्जी, फल व पौधों की अच्छी पैदावार के लिए उन्हें 18 पोषक तत्व चाहिए होते हैं, जो उन्हें हवा, पानी और मिट्टी से मिलते हैं। इनमें से 6 मुख्य पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, कैल्शियम और सल्फर मिट्टी से मिलते हैं। ऐसे में मिट्टी में अगर इनमें से कोई भी तत्व कम हो जाए तो पौधा अपनी जीवन चक्र पूरा नहीं कर पाता।
सरकार ने शुरू की मृदा स्वास्थ्य कार्ड
भोजन में 95% हिस्सेदारी मिट्टी की होती है और फिलहाल विश्व की संपूर्ण मिट्टी का 33% पहले हिस्सा पहले से ही बंजर या खराब हो चुका है। वहीं, जरूरी पोषक तत्व फास्फोरस, नाइट्रोजन, पोटाश और माइक्रोन्यूट्रेएंट्स में गड़बड़ी के कारण मिट्टी की सेहत भी लगातार गिर रही है। हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार ने 'मृदा स्वास्थ्य कार्ड' की योजना शुरू की है, जिसमें खेतों की जांच करने के बाद किसानों को पोषक तत्वों की तय मात्रा इस्तेमाल करने को कहा जाता है।
केमिकलों से खराब हो रही जमीन
जांच के मुताबिक, आधुनिक समय में खेती को उपजाऊ बनाने, पौधों को कीड़ों से बचाने के लिए कई केमिकल्स यूज किए जाते हैं, जिनका असर मिट्टी पर पड़ता है।
ऐसे मिट्टी होगी उपजाऊ, खर्च भी बचेगा
. किसानों व होम गार्डिनिंग करने वाले लोगों को रासायनिक की बजाए जैविक खादों का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए।
. गाय के गोबर और गोमूत्र से बनी खाद ना सिर्फ मिट्टी की सेहत को बरकरार रखती है बल्कि इससे खर्च भी बचता है। वहीं रॉक फॉस्फेट भी खेती और मिट्टी की सेहत के लिए अच्छी है।
. मिट्टी को स्वस्थ बनाने के लिए आप केंचुआ खाद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो केमिकल फ्री होने के साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है।