नारी डेस्क: महाकुंभ, जो भारत के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है, इस बार एक खतरनाक ट्रेंड का शिकार हो गया है। महिलाओं के नहाने के वीडियो और तस्वीरें न केवल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, बल्कि इन वीडियो को बेचने का धंधा भी शुरू हो गया है।
महिलाओं के नहाने के वीडियो की बढ़ती संख्या
महाकुंभ के दौरान हर साल लाखों श्रद्धालु गंगा नदी में पवित्र स्नान करने के लिए आते हैं। इस दौरान कुछ लोग महिलाओं की बिना अनुमति के उनके नहाने के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट कर रहे हैं। इन वीडियो में जानबूझकर महिलाओं के निजी अंगों पर फोकस किया जा रहा है, जिससे उनकी निजता का उल्लंघन हो रहा है।
सोशल मीडिया और टेलीग्राम पर बढ़ती दिक्कत
इस तरह के वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #Mahakumbh2025, #Gangasnan, और #Prayagrajkumbh जैसे हैशटैग्स के साथ शेयर किया जा रहा है। खतरनाक बात यह है कि कुछ वीडियो को टेलीग्राम चैनल्स पर बेचा भी जा रहा है। इन चैनल्स के जरिए वीडियो बेचने के लिए रेटकार्ड जारी किए जा रहे हैं। टेलीग्राम पर कई ऐसे समूह बन चुके हैं जहां इन वीडियो को खरीदने के लिए पैसे की मांग की जा रही है।
टेलीग्राम पर खुलेआम वीडियो बेचने की कोशिश
टेलीग्राम पर इस समय खुलेआम महिलाओं के नहाने के वीडियो बेचे जा रहे हैं। "Ganga river open bathing group", "Hidden bath videos group", और "Open bath videos group" जैसे चैनल्स इन वीडियो का विशाल संग्रह बेचने का दावा कर रहे हैं। इन वीडियो और तस्वीरों में महिलाओं के निजी अंगों को लाल रंग से ढककर इस सामग्री को बेचने की कोशिश की जा रही है।

सामाजिक और कानूनी समस्या का रूप लेता हुआ मुद्दा
यह खतरनाक ट्रेंड महिलाओं के लिए एक गंभीर खतरे का कारण बनता जा रहा है। न केवल उनकी इज्जत और सुरक्षा को खतरा हो रहा है, बल्कि इससे समाज में असुरक्षा का माहौल भी बन रहा है। अगर इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो यह और भी बढ़ सकता है।
कानूनी कार्रवाई की जरूरत
महिलाओं की निजता की रक्षा के लिए प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और टेलीग्राम पर इस तरह की आपत्तिजनक सामग्री को रोकने के लिए सख्त नियम लागू करने की आवश्यकता है। पुलिस विभाग को भी इस मामले में तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन न हो और इस तरह के घिनौने खेलों को रोका जा सके।

महाकुंभ जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उद्देश्य पवित्रता और श्रद्धा को बढ़ावा देना होता है, लेकिन इन कार्यक्रमों का उपयोग गंदे और आपत्तिजनक कार्यों के लिए किया जा रहा है। समाज को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और महिलाओं की सुरक्षा और निजता का सम्मान करना चाहिए।