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World Sickle Cell Day: कैसे होती है सिकल सेल डिजीज, जानिए इसके लक्षण और कारण

  • Edited By palak,
  • Updated: 19 Jun, 2022 12:15 PM
World Sickle Cell Day: कैसे होती है सिकल सेल डिजीज, जानिए इसके लक्षण और कारण

लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए हर साल 19 जून यानी आज यह दिन मनाया जाता है। सिकल सेल एक ऐसी बीमारी हैं, जिसके कारण खून में मौजूद हीमोग्लोबिन बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित होता है। इसके कारण रेड ब्लड सेल्स का आकार  भी खराब हो जाता है। इस बीमारी के कारण मरीजों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि इस बीमारी की समय पर पहचान करके इलाज न करवाया जाए तो कई तरह की गंभीर समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। तो चलिए आपको बताते हैं इस बीमारी के लक्षण और कारण ...

कैसे होती है सिकल सेल डिजीज? 

 एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह बीमारी खून में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन में असमान्य एच.बी(Hb) चेन बना देती है, जिसके कारण रेड ब्लड सेल्स की शेप भी खराब हो जाती है। हीमोग्लोबिन के जरिए शरीर के सारे सेल्स को  पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचता है, परंतु इस बीमारी के कारण रक्त कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। इस बीमारी के कारण सिकल सेल एनीमिया, सिकल सेल थैलसीमिया जैसी बीमारियां हो जाती हैं। 

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क्या है लक्षण?

. एनीमिया के कारण शरीर में थकान रहना। 
. हड्डियों में दर्द होते रहना। 

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. हाथों, पैरों में सूजन आ जाना। 
. इन्फेकशन का होना। 

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. आंखों से संबंधित समस्याएं होना। 
. बच्चों का विकास देरी से होना। 

कैसे होती है बीमारी? 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह बीमारी जेनेटिक कारणों से ही होती है। यदि किसी के माता-पिता इस खतरनाक बीमारी की चपेट में है तो उन्हें सिकल सेल डिजीज होने का खतरा अधिक होता है। कई बार सिकल सेल जीन एक से दूसरी पीढ़ि में चले जाते हैं और भी कई कारणों से यह बीमारी हो सकती है। यदि आपको भी इस बीमारी को कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

क्या है इसका इलाज?

इस बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है। इस बीमारी में मरीज को दर्द होता है जिसका इलाज हाइड्रोक्सी यूरिया के जरिए किया जाता है। इसकी रोकथाम करने के लिए शादी से पहले जेनेटिक काउंसलिंग अवश्य लेनी चाहिए। वैसे जीन थेरेपी इस बीमारी के इलाज के तौर पर सही साबित होती है। इसके जरिए इस बीमारी की गंभीरता को कम किया जा सकता है। जबकि कई मरीजों में इसका इलाज लक्षणों के अनुसार किया जाता है। 

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