आज टीचर डे के मौके पर हम आपको ऐसी शिक्षक के बारे में बताएगें जो एक टीचर होने के साथ एक अभिनेत्री भी हैं। हम बात कर रहे है एक्टर परेश रावल की पत्नी स्वरुप रावल के बारे में। स्वरुप रावल पूर्व मिस इंडिया रह चुकी हैं।
पूर्व मिस इंडिया रह चुकी हैं स्वरुप रावल
स्वरुप के पिता एक थिएटर आर्टिस्ट व मां सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट थी। पिता की तरह थिएटर करते हुए वह 1979 में मिस इंडिया बनी। वहीं उनका मॉडलिंग व एक्टिंग का करियर शुरु हुआ। उसके बाद उन्हें ये जो है जिदंगी सीरियल से पहचान मिली थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उन्हें यकीन नही हो रहा है कि वह मिस इंडिया बन चुकी हैं क्योंकि काफी सालों तक गांव में एक झोपड़ी में रही। इतना ही नहीं जब स्वरूप फिल्मों में काम करती थीं तो शीशा तक नहीं देखती थीं। वो कभी ये डिस्कस नहीं करती थीं कि वो फिल्म में क्या पहनने वाली हैं और कैसा लुक होगा।
1984 में स्वरूप ने फिल्म 'करिश्मा' में काम किया था। फिल्म में स्वरूप ने काफी बोल्ड सीन्स भी दिए थे लेकिन वह अपने पति की तरह सफल एक्टर नहीं बन पाई। स्वरूप ने 'नरम गरम', 'हिम्मतवाला' ,'साथिया' , सप्तपदी और 'की एंड का' जैसी फिल्मों में दिखाई दी। एक इंटरव्यू में स्वरुप ने फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ने का कारण बताया था। उन्होंने कहा था ति 80 के दशक के बाद अच्छी मूवी बनना बंद हो गई थीं। मैं सुजाता और अनुराधा जैसी फिल्मों में काम करना चाहती थी। लेकिन वैसी फिल्में फिर नहीं बनीं। फिल्म 'हिम्मतवाला' के बाद मैंने इंडस्ट्री छोड़ने का फैसला लिया।
फिल्म इंडस्ट्री छोड़ स्वरुप ने टीचिंग करनी शुरू कर दी। एक अभिनेत्री से शिक्षक बनने के लिए उन्हें उनके बच्चों ने प्रेरित किया था। एक बार बच्चों को पढ़ाई के कारण काफी स्ट्रैस में देखा तो उन्होंने टीचिंग के नए तरीके खोज कर न केवल अपने बच्चों को पढ़ाई बल्कि आज बाकी बच्चों को भी पढ़ा रही हैं।
पेड़ के नीचे हुई परेश और स्वरुप की शादी
स्वरुप रावल ने एक्टर परेश रावल से शादी की। दोनों की पहली मुलाकात अपने थिएटर से प्यार के चलते हुई थी। दोनों उस वक्त पढ़ाई करते थे। परेश ने स्वरुप को देखते ही यह फैसला ले लिया था कि वह उससे ही शादी करेंगे। वही स्वरूप ने पहली बार परेश को स्टेज पर परफॉर्म करते देखा और वो उनकी फैन हो गईं। एक इंटरव्यू में स्वरूप ने बताया था कि हमारे रिश्ते के बारे में बहुत ज्यादा लोग नहीं जानते थे। हमारी शादी मुंबई के लक्ष्मीनारायण मंदिर में हुई थी जो बहुत खूबसूरत थी। वहां कोई मंडप नहीं था और करीब 9 पंडित मंत्र पढ़ रहे थे। मंडप की जगह हमने बड़े पेड़ के नीचे सात फेरे लिए थे।
इंडस्ट्री छोड़ बनी टीचर
बच्चे होने के बाद 37 साल की उम्र में स्वरुप ने दोबारा अपनी पढ़ाई पूरी करने की कोशिश की। उसके बाद 2010 में उन्होंने अन्नामलाई यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की। इतना ही नही इसके बाद इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। जिसका विषय बच्चों में ड्रामा के माध्यम से लाइफ स्किल्स बढ़ाना।
स्वरुप रावल अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बच्चों को पढ़ाई करवा रही हैं। कभी वह महाराष्ट्र के किसी गांव से आने वाले जनजातीय समुदाय के तो कभी सूरत मुंबई के इलीट स्कूल के बच्चों को लाइफ स्किल एजुकेशन तकनीक के तहत पढ़ाती हैं। स्वरुप जब विभिन्न स्कूल व गरीब बस्तियों में जाकर बच्चों को पढ़ाती है तो वह पांरपरिक शिक्षा प्रणाली को छोड़ कर नाटक, गीत, संगीत, चित्रकला, समूह डिस्कशन का प्रयोग करती हैं। इतना ही नही वह सेटेलाइट के माध्यम से गुजरात के 2.5 लाख प्राइमरी स्कूल टीचर्स को किस तरह से पढ़ाया जाए इस बारे में ट्रेनिंग दे चुकी हैं। अपने इसी पढ़ाने के तरीके को लेकर उन्हें विश्वस प्रसिद्ध Varkey Foundation के Global Teacher Prize देकर सम्मानित किया गया।