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छोटी उम्र में बड़ी जिम्मेदारियों के चलते सिंगर बनी थी लता मंगेशकर, संघर्ष से लिखी सफलता की कहानी

  • Edited By palak,
  • Updated: 06 Feb, 2024 01:38 PM
छोटी उम्र में बड़ी जिम्मेदारियों के चलते सिंगर बनी थी लता मंगेशकर, संघर्ष से लिखी सफलता की कहानी

'मेरी आवाज ही पहचान है' इस गाने को सुनते ही लता मंगेशकर की याद आ जाती है। भले ही वह आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी आवाज का हर कोई दीवाना है। लता मंगेशकर को स्वर कोकिला भी कहते हैं। उन्होंने अपने करियर में 50 हजार से ज्यादा गाने गाए वो इंडस्ट्री में एकमात्र ऐसी गायिका थी जो 30 भाषाओं में गाना गा चुकी हैं। उनके गाने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गूंजते हैं। उन्हें एक सफल सिंगर के तौर पर जाना जाता है। आज लता मंगेशकर की पुण्यतिथि है ऐसे में  उन्होंने यह सफर शुरु कैसे किया और इस दौरान उन्हें क्या-क्या परेशानियां आई आज आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे। आइए जानते हैं। 

13 साल की उम्र में शुरु किया था करियर 

लता मंगेशकर ने अपने करियर की शुरुआत 13 साल  की उम्र में की थी। उनके पिता दीनानाथ का हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया था जिसके कारण उनके ऊपर घर की जिम्मेदार आ गई थी। वह अपने घर में बड़ी थी इसलिए उन पर जिम्मेदारी आ गई थी। लता मंगेशकर की जिंदगी में एक ऐसा दिन भी आया था जब उनके पूरे परिवार को भूखा सोना पड़ा था। इस बात का खुलासा खुद स्वर कोकिला ने साल 2015 में एक इंटरव्यूके दौरान किया था। परिवार के लिए उन्होंने इंडस्ट्री में कदम रखा था। 

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मास्टर विनायक के साथ शुरु किया था करियर 

पैसों की तंगी के बीच लता मंगेशकर को मास्टर विनायक ने अपनी मराठी फिल्म 'पहिली मंगला गौर' के लिए अप्रोच किया था। इस दौरान लता को भी पैसे की जरुरत थी इसलिए उन्होंने भी हां कर दिया था। फिल्म में उन्होंने छोटा सा रोल भी किया था उन्होंने फिल्म के गाने नटली चैत्राची नवलाई में अपनी आवाज दी थी। इसके लिए उन्हें 25 रुपये फीस भी मिली थी। फिल्म में रोल के लिए उन्हें उस समय 300 रुपये मिले थे। इसके बाद लता मंगेशकर ने कुछ समय तक मास्टर विनायक की कंपनी में काम किया था।  

ऐसे बदली थी लता की किस्मत 

लता मंगेशकर की किस्मत तब बदली जब नूरजहां पाकिस्तान चली गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो लता मंगेशकर ने अपना करियर शुरु किया था तो उस समय नूरजहां ही फेमस स्टार थी उनके आगे किसी का भी नाम नहीं चलता था। वहीं लता मंगेशकर खुद भी उन्हें अपनी प्रेरणा मानती थी लेकिन जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वह पाकिस्तान चली गई। इसी के बाद लता की किस्मत भी बदल गई। शुरुआत में उनकी आवाज को पतली कहकर कई बार रिजेक्ट कर दिया गया था।  

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लता मंगेशकर के नाम है कई सारी उपलब्धियां

1974 में वह रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय बनी। उनके पास इतनी उपलब्धियां थी कि उसी साल गिनीज रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ।  उन्हें भारतीय संगीत के इतिहास में सबसे ज्यादा उपलब्धिया दर्ज कर चुकी कलाकार होने का गौरव भी मिल चुका है।

इन पुरस्कारों से हो चुकी हैं सम्मानित 

1989 में लता मंगेकशकर को पद्म विभूषण, 1990 में श्रीराजा लक्ष्मी फाउंडेशन चेन्नई द्वारा पुरस्कार, 2000 में आइफा लाइफस्टाइल अचीवमेंट अवॉर्ड, 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 2001 में उन्हें महाराष्ट्र रत्न, 2002 में आशा भोंसले पुरस्कार, 2004 में फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार, 2007 में फ्रांस सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार (ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर) से सम्मानित किया। स्वर कोकिला लता मंगेशकर को 1970 में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। 1972 में उन्हें फिल्म परिचय के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया। 1974 में फिल्म कोरा कागज के गीतों के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इसके बाद 1977 में जैत रे जैत के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गायिका और 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

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घर की जिम्मेदारियों के चलते नहीं की शादी 

एक इंटरव्यू के दौरान लता मंगेशकर ने शादी न करने की वजह भी बताई थी। उन्होंने बताया था कि घर के सारे  सदस्यों की जिम्मेदारी उनपर थी। कई बार उन्हें शादी का ख्याल आया लेकिन वह कर नहीं सकती थीं। छोटी सी उम्र में ही वह काम करने लग गई। उन्होंने सोचा पहले छोटे भाई-बहनों को जिंदगी में कई व्यवस्थित कर दूं। हालांकि उनकी बहनों ने शादी करवाई और उनके बच्चे भी हो गए।
 

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