नारी डेस्क: सरोजिनी नायडू, जिन्हें "भारत की बुलबुल" के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख महिला नेता और कवयित्री थीं। उनका जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत हैदराबाद से की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गईं। वहाँ उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की। सरोजिनी नायडू, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थीं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सरोजिनी नायडू महात्मा गांधी के करीब थीं
उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। वे महात्मा गांधी के करीब थीं और उन्होंने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और अन्य आंदोलनों में भाग लिया। उनकी बातें और भाषण लोगों को प्रेरित करते थे और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को नया उत्साह दिया। वह गांधीजी की करीबी सहयोगी थीं और उनके विचारों का पालन करती थीं।1930 का नमक सत्याग्रह: जब महात्मा गांधी ने नमक कानून के खिलाफ दांडी यात्रा का नेतृत्व किया, सरोजिनी नायडू ने भी इसमें हिस्सा लिया और भारतीय महिलाओं को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। वह गिरफ्तार हुईं और उन्होंने जेल में भी अपना संघर्ष जारी रखा।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षता: 1925 में, सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं, जो इस प्रतिष्ठित पद को संभालने वाली पहली भारतीय महिला थीं।
भारत की बुलबुल नाम से प्रसिद्ध
वे एक प्रसिद्ध कवयित्री भी थीं। उनकी कविताएँ सुंदरता, देशभक्ति और सामाजिक मुद्दों पर आधारित थीं। उनकी कविताओं में भारतीय संस्कृति और परंपराओं की झलक मिलती है। उनके साहित्यिक काम के कारण उन्हें "भारत की बुलबुल" की उपाधि दी गई। प्रारंभिक जीवन और शिक्षासरोजिनी नायडू का जन्म एक शिक्षित बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता, अघोरनाथ चट्टोपाध्याय, एक वैज्ञानिक और शिक्षाविद थे, और उनकी माँ, वरदा सुंदरी, एक कवयित्री थीं। सरोजिनी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास (अब चेन्नई) में प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चली गईं, जहां उन्होंने किंग्स कॉलेज, लंदन और बाद में गिरटन कॉलेज, कैंब्रिज में अध्ययन किया।
महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई
सरोजिनी नायडू ने महिलाओं के अधिकारों के लिए भी काम किया और उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और समानता की दिशा में कई कदम उठाए। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, उन्हें उत्तर प्रदेश की पहली महिला गवर्नर नियुक्त किया गया। उनकी ज़िन्दगी और उनके योगदान को आज भी बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है। उन्होंने भारतीय महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अमूल्य सेवाओं के लिए हमेशा याद की जाएंगी। उनकी कविताओं और लेखों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए न केवल भारत में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी समर्थन जुटाया।
सरोजिनी नायडू का जीवन और संघर्ष भारतीय महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है और वे हमेशा भारतीय इतिहास में एक प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में याद की जाएंगी।