देश में बरसात ने दस्तक दे दी है। सावन की फुहारों और हरियाली के साथ ही मौसम में उमस और गर्मी ने भी अपनी एंट्री कर ली है। इस मौसम में धार्मिक परंपराओं में व्रत रखने की सदियों से परम्परा चली आ रही है ताकि शरीर/आत्मा का शुद्धिकरण किया जा सके और विभिन्न रोगों से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सके।शरीर की शुद्धता के साथ ही त्वचा की शुद्धता पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि त्वचा शरीर का सबसे बड़ा ऑर्गन है।इस मौसम में त्वचा से जुड़ी अनेक सौन्दर्य समस्याएं देखने को मिलती हैं। इस सीजन में कील ,मुहांसे ,फोड़े ,फुंसी ,रैशेस आदि त्वचा के लिए नुकसान दायक साबित होते हैं। इनके उपचार और बचाव के अनेक उपाय सुझाए जाते हैं जन्में स्किन फास्टिंग उपचार काफी प्रभाबी माना जाता है क्योंकि धूल , धूप और प्रदूषण के अलावा मेकअप और सौन्दर्य प्रसाधन भी त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाते हैं ।स्किन फास्टिंग में त्वचा को प्राकृतिक अवस्था में रखा जाता है और इस दौरान त्वचा को सौन्दर्य उत्पादों और मेकअप से दूर रखा जाता है जिससे त्वचा को आराम मिलता है।
दरअसल ‘‘स्किन फास्टिंग’’ उसी तरह है जैसे हम मानसून के दौरान शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिए व्रत करते हैं। स्किन फास्टिंग में हम त्वचा को प्रकृतिक रुप में कार्य करने की अनुमति देते हैं जैसा कि उसे सौन्दर्य प्रसाधनों के बिना कार्य करना चाहिए। स्किन फास्टिंग का मुख्य उद्देश्य त्वचा की सौन्दर्य प्रसाधनों पर निर्भरता को समाप्त करना है लेकिन स्किन फास्टिंग में कलीज़िंग, माइस्चराइज़िंग जैसी त्वचा की मूलभूत हाईजीन को निर्वाध रुप से जारी रखना चाहिए।
स्किन फास्टिंग भी सामान्य व्रत की तरह ही होती है जिसमें हम त्वचा की जरूरतों के अुनसार ‘‘स्किन फास्टिंग’’ अपनाते हैं। स्किन फास्टिंग एक हफ्ते से लेकर एक महीने तक की जा सकती है। इस दौरान सौन्दर्य प्रसाधनों में विद्यमान रसायनिक तत्वों के त्वचा पर प्रभाव को निष्क्रिय करने में सहायता मिलती है। इस दौरान त्वचा की प्रकृतिक प्रणाली को सुदृढ़ करने में मदद मिलती है तथा सौन्दर्य प्रसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से त्वचा में आई अशुद्धियों/विकृतियों से लड़ने के लिए त्वचा की प्रकृतिक प्रणाली सुदृढ़ होती है ‘‘स्किन फास्टिंग’’ से आपको त्वचा की प्रकृतिक प्रवृति का अहसास हो जाता है तथा यह पता चल जाता है कि त्वचा के लिए कौन सा सौन्दर्य प्रसाधन लाभदायक है या नुकसानदायक है।
‘‘स्किन फास्टिंग’’ की शुरुआत में रात्रि में चहेरे को धोकर कोई भी सौन्दर्य प्रसाधन न लगाऐं। स्किन फास्टिंग में सभी सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग बंद न करें बल्कि इसे चरणबद्ध तरीके से करें। पहले सप्ताह में एक बार स्किन फास्टिंग करें तथा बाद में त्वचा की प्रवृति के अनुरुप इसे बढ़ाते जाएं। सबसे पहले रात्रि में सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग रोक कर त्वचा में प्रकृतिक तौर पर प्रकृतिक तेलों के माध्यम से ताजगी पैदा होने दें। सुबह उठते ही चेहरे को गुनगुने पानी से धोएं ताकि त्वचा को कोई नुकसान न पहुंचे यदि प्रारंभ में स्किन फास्टिंग से त्वचा में कोई जलन आदि न पैदा हो तो इसे बढ़ाते जाएं। अगर आपकी त्वचा शुष्क है तो इसे माइस्चराईज़र करना जरूरी है।
मुख्यतः जब हम सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग करते हैं तो हम अपनी समझ से त्वचा को निखारने की कोशिश करते हैं जिससे त्वचा का प्रकृतिक चक्र प्रभावित होता है। उदाहरण के तौर पर माइस्चराईज़र या फेशियल आयल लगाने से त्वचा को यह अहसास होता है कि उसे प्रकृतिक सीवम पैदा करने की जरूरत नहीं है। इसी तरह रेटिनॉल, अल्फा हाइड्रोक्सी एसिड या वीटा हाइड्रोक्सी एसिड जैसे एक्सफोलिस्ट प्रयोग करने से हम त्वचा में रसायनिक तरीकों से कोषिकाओं को बढ़ा रहे हैं।
‘स्किन फास्टिंग’’ के लिए आपको अपनी त्वचा की प्रवृति को समझना भी जरूरी है। यदि स्किन फास्टिंग के बाद आप त्वचा में बदलाव महसूस करें तो आप यह समझ सकेंगे त्वचा को किन सौन्दर्य प्रसाधनों की जरूरत है।
लेकिन स्किन फास्टिंग से त्वचा मूलभूत पौषक तत्वों से वंचित रह सकती है तथा इससे त्वचा के स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव पढ़ सकता है जैसे कि यदि आप सनस्क्रीन का उपयोग बंद कर देगीं तो सूर्य की किरणों से आपकी त्वचा में जलन हो सकती है।
स्किन फास्टिंग हमेशा सौंदर्य विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाना चाहिए। यदि आप कील, मुहांसे, चक्क्ते आदि की समस्या से जूझ रही हैं तो स्किन फास्टिंग न करें क्योंकि ऐसी त्वचा को नियमित पौष्टिक तत्वचों की आवश्यकता होती है। लेकिन यदि आप अपनी त्वचा की रूटीन को नए सिरे से शुरु करने जा रही हैं तो स्किन फास्टिंग सबसे उपयुक्त है लेकिन हमेशा घर से निकलने से पहले एक अच्छी सनस्क्रीन का उपयोग करना कतई ना भूलें।
(लेखिका अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ हैं और हर्बल क्वीन के रूप में लोकप्रिय हैं)