हिंदू धर्म में हर त्योहार का खास महत्व बताया गया है। भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाने वाली जन्माष्टमी का भी भक्तों में काफी उल्लास देखने को मिलता है। पूरे देश में इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 6,7 सितंबर दो दिन मनाई जा रही है। जन्माष्टमी के दिन रात में 12 बजे कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है, कृष्ण जी को स्नान करवाया जाता है प्रिय चीजों के साथ उन्हें भोग लगाया जाता है। इसके अलावा कुछ कृष्ण भक्त जन्माष्टमी पर उपवास भी रखते हैं। विधि-विधान के साथ पूजा करके कृष्ण जी की कृपा पाते हैं लेकिन व्रत के कुछ नियमों का ध्यान रखना जरुरी है। ऐसे में यदि आप भी पहली बार व्रत रखने वाले हैं तो इन नियमों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें।
सात्विक भोजन करें
जन्माष्टमी का व्रत करने से पहले सप्तमी तिथि को सात्विक भोजन ही करें क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत सप्तमी तिथि से ही शुरु हो जाता है।
व्रत का संकल्प लें
सुबह व्रत करने से पहले स्नान आदि करके हाथ में एक तुलसी का पत्ता लें इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
श्रीकृष्ण का श्रृंगार करें
व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूरे मन से पूजा करें। लड्डूगोपाल को पंचामृत के साथ स्नान करवाएं। स्नान करवाकर उन्हें साफ सुथरे कपड़े पहनाएं इसके बाद नया मुकुट, माला, बांसुरी, करधनी के साथ उनका श्रृंगार करें।
ऐसे करें व्रत का पारण
फिर रात को 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण के जन्म के बाद आप व्रत का पारण कर सकते हैं। दिन में आप फलाहार का सेवन कर सकते हैं इस बात का ध्यान रखें कि सूर्यास्त के बाद जल ग्रहण न करें और श्रीकृष्ण की भक्ति करते रहें।
गाय को खिलाएं चारा
जन्माष्टमी के दिन जरुरतमंद व्यक्तियों को दान करें। इस दिन गाय को चारा खिलाना शुभ माना जाता है इसके अलावा गाय की सेवा जरुर करें क्योंकि बाल गोपाल जी को गाय बेहद प्रिय थी।