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यादों में पुनीत राजकुमार, मरने के बाद भी सुपरस्टार की आंखें देखेगी दुनिया

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 30 Oct, 2021 11:25 AM
यादों में पुनीत राजकुमार, मरने के बाद भी सुपरस्टार की आंखें देखेगी दुनिया

अभिनेता पुनीत राजकुमार दिवंगत अभिनेता राजकुमार के बेटे थे और अपने पिता की पहचान से हट कर उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी- और यह पहचान थी कन्नड़ फिल्म जगत में सबसे महशूर और चहेते कलाकार की। हालांकि अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए, पुनीत ने अपनी आंखें दान करने का संकल्प लिया था और उनकी मृत्यु के बाद उनकी इच्छा को पूरा किया गया। 

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पुनीत की मौत की खबर से हर कोई दुखी 

‘अप्पू’, ‘वीरा कन्नडिगा’ और ‘मौर्य’ जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले कन्नड़ सिनेमा के स्टार और टेलीविजन प्रस्तोता पुनीत राजकुमार (46) का शुक्रवार को यहां दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। एकदम चुस्त दुरुस्त दिखने वाले कलाकार के इतनी कम उम्र में निधन से उनके प्रशंसक,सहयोगी और नेता सभी स्तब्ध हैं। सभी के ज़ेहन में केवल यही बात है कि पुनीत राजकुमार इतनी जल्दी दुनिया से कैसे विदा हो गए। उनके परिवार में पत्नी अश्विनी रेवंत और दो बेटियां धृति और वंदिता हैं।

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मरने से पहले गए थे जिम 

भाई-बहनों में सबसे छोटे और पांचवें नंबर के पुनीत ने फिल्मी सफर की शुरुआत में ‘‘भक्त प्रहलाद’’ में बेहतरीन अभिनय किया था। इसमें उनके पिता ने भी काम किया था। ‘‘वसंत गीता’’और ‘‘भाग्यवंत’’में उनके अभिनय को काफी सराहा गया। फिल्म ‘‘बेट्टाडा हूवू’’ में उन्होंने एक युवा लड़के रामू की भूमिका निभाई, जो एक दुर्लभ फूल को खोजने के लिए एक शोधकर्ता की सहायता करता है। इस फिल्म के लिए पुनीत को सर्वश्रेष्ठ बाल अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।पुनीत एक बैडमिंटन खिलाड़ी थे और नियमित रूप से जिम जाते थे। शुक्रवार को भी वह जिम गए थे । उनका इलाज करने वाले चिकित्सकों ने बताया कि जिम में दो घंटे की कसरत के बाद सीने में दर्द की शिकायत पर पुनीत को विक्रम अस्पताल लाया गया। कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई।

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कई पुरस्कार अपने नाम कर चुके थे पुनीत

पुनीत ने 2002 में फिल्म ‘अप्पू’ में एक प्रमुख किरदार निभा कर फिल्मी सफर की शुरुआत की और इसके बाद ‘अभि’, ‘मौर्य’, ‘अजय’ और ‘अरासु’ सहित कई सफल फिल्में कीं। उनके करियर की सबसे सफल फिल्म मानी जाती है 2017 में आई ‘‘राजकुमार’’। इसे कन्नड़ फिल्म जगत की अब तक की सबसे सफल फिल्म माना जाता था,लेकिन यह रिकॉर्ड तोड़ा अगले वर्ष आई ‘‘केजीएफ:चैप्टर1’’ने। इसके लिए भी उन्हें फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला।लाजवाब अभिनेता पुनीत अपने पिता की तरह एक उम्दा गायक भी थे। उन्होंने ‘‘ अप्पू’’ में गाना गाया,इसके अलावा उन्होंने वामशी के लिए ‘‘जोते जोतेयाली’’ गाया,जो खूब पसंद किया गया।

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 पूरे परिवार ने आंखे दान करने का लिया फैसला

पुनीत के बड़े भाई शिव राजकुमार और राघवेंद्र राजकुमार भी कन्नड़ फिल्म उद्योग में अभिनेता हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई राजनीतिक नेताओं, दक्षिणी फिल्म उद्योग में उनके साथियों के साथ ही बॉलीवुड के कलाकारों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। पुनीत के पिता ने साल 1994 में पूरे परिवार की आंखें दान करने का फैसला लिया था। डॉ राजकुमार की भी 12 अप्रैल 2006 को 76 की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। 

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