
नारी डेस्क: वैसे तो तनाव किसी भी समय सेहत के लिए ठीक नहीं होता लेकिन अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा तनाव लेती है तो इसका असर सिर्फ उसके शरीर पर ही नहीं बल्कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है। कई रिसर्च से यह बात सामने आई है कि मां के ज़्यादा टेंशन लेने से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है।
डॉक्टर समरा मसूद ने क्या कहा?
गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर समरा मसूद ने अपने इंस्टाग्राम पर इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अगर महिला प्रेग्नेंसी के समय ज्यादा तनाव में रहती है, तो इसका असर बच्चे के स्वभाव पर भी पड़ सकता है। बच्चा डरपोक, चिड़चिड़ा या गुस्सैल हो सकता है। डॉ. समरा बताती हैं कि जब पति या घर का कोई सदस्य गर्भवती महिला पर गुस्सा करता है या चिल्लाता है, तो महिला को डर और घबराहट महसूस होती है। इस मानसिक स्थिति से उसका और बच्चे का दोनों का नुकसान होता है।
स्ट्रेस हार्मोन का असर
तनाव के कारण महिला के शरीर में "कॉर्टिसोल" नाम का स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है। यह हार्मोन प्लेसेंटा के जरिए सीधे बच्चे तक पहुंचता है। इससे बच्चे के मस्तिष्क और शरीर के विकास पर बुरा असर हो सकता है।
बच्चे की सेहत पर पड़ता है असर
अगर मां लंबे समय तक तनाव में रहती है, तो बच्चा शारीरिक रूप से कमजोर हो सकता है और मानसिक रूप से भी डरा-सहमा या बेचैन स्वभाव का बन सकता है। रिसर्च के अनुसार, ऐसे बच्चे आगे चलकर गुस्सैल या बहुत ज्यादा डरपोक हो सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में हो सकते हैं मेडिकल कॉम्प्लिकेशन
डॉक्टर कहती हैं कि अगर महिला लगातार टेंशन में रहती है तो प्रेग्नेंसी में कई तरह की जटिलताएं (कॉम्प्लिकेशन) आ सकती हैं। जैसे-
हाई ब्लड प्रेशर
बच्चा कम वज़न का होना
समय से पहले डिलीवरी होना (प्रीमैच्योर डिलीवरी)
इसलिए महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे प्रेग्नेंसी में खुश और तनावमुक्त रहें।

प्रेग्नेंट महिला को दें प्यार और सपोर्ट
डॉक्टर समरा कहती हैं कि परिवार के सभी लोगों को यह बात समझनी चाहिए कि गर्भवती महिला को प्यार, सम्मान और भावनात्मक सपोर्ट की ज़रूरत होती है। इससे वह खुश रहती है और बच्चा भी स्वस्थ रूप से विकसित होता है।
अगर आप या आपके घर में कोई महिला प्रेग्नेंसी प्लान कर रही है, तो इस जानकारी को जरूर साझा करें और तनाव को दूर रखने की कोशिश करें।