ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है, जिसके कारण बच्चे का व्यवहार सामान्य लोगों से अलग होता है। इसके शुरुआती लक्षण 1 से 3 साल के बच्चे में दिखाई देते हैं। इसकी चपेट में आकर बच्चे अपना मानसिक संतुलन बरकरार नहीं रख पाते हैं। ऐसे में वे परिवार व समाज से दूरी बना लेता है। बता दें, बॉलीवुड फिल्म बर्फी व माइ मेन इज खान में प्रियंका चोपड़ा व शाहरुख खान ने ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्ति का रोल निभाया था। वहीं हर साल 18 जून को 'ऑटिस्टिक प्राइड डे' के तौर पर मनाया जाता है। ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जाए।
चलिए जानते हैं ऑटिज्म के बारे में...
असल में, यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (मानसिक रोग) है। इसमें बच्चे का मानसिक संतुलन स्थिर नहीं रहता है। ऐसे में इनकी दूसरों से बात व व्यवहार करने की क्षमता सीमित होती है। वहीं हर बच्चे में इसके अलग-अलग लक्षण पाएं जाते हं। कुछ बच्चे दिमाग से तेज होते हैं तो कुछ सीखने-समझने में भी परेशानी महसूस करते हैं। इसके साथ ही इन बच्चों लगातार एक ही तरह का व्यवहार देखने को मिलता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, करीब 40 प्रतिशत ऑटिस्टिक बच्चे बोल नहीं पाते हैं। वहीं करीब 68 में से 1 बच्चा ऑटिज्म का शिकार होता है। इसके पीछे के कारणों को अभी तक पूरी तरह से पता नहीं लगाया जा चुका है। मगर फिर भी वैज्ञानिकों के अनुसार, इंफेंक्शन, प्रेंगनेसी के दौरान मां की डाइट, शोर शराबे और जेनेटिक्स इसके मुख्य कारण हो सकते हैं।
शोर शराबे से बच्चे को ऑटिज्म होना का खतरा दोगुना
एक्सपर्ट्स के अनुसार, जिन लोगों के घर अधिक शोर-शराबे वाली जगहों पर हैं उनके बच्चों को ऑटिज्म होने का खतरा दोगुना माना गया है। ऐसे में पेरेंट्स को सर्तक रहने की जरूरत है।
पेरेंट्स रखें इन बातों का ध्यान...
ऐसे बच्चों को संभालने के लिए माता-पिता को उनका खास ख्याल रखने की जरूरत हैं। ऐसे में उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
प्रेंगनेसी में महिलाएं डाइट का रखें ध्यान
जैसी की सभी जानते हैं कि प्रेगनेंसी के समय मां को अच्छी व हैल्दी डाइट लेनी चाहिए। असल में, अच्छी डाइट से पेट में पल रहे बच्चे का बेहतर शारीरिक व मानसिक विकास होता है। ऐसे में उसे खाने में पौष्टिक चीजों को शामिल करना चाहिए। साथ ही अल्कोहल, तंबाकू आदि के सेवन से बचना चाहिए। इससे बच्चे के विकास में बांधा आने के साथ वह ऑटिज्म बीमारी से घिर सकता है। इसके अलावा इस दौरान मां को दुखी व उदास होने की जगह पर खुश रहना चाहिए। असल में, मां के खुश होने से गर्भ में पल रहा बच्चा भी खुश होता है। ऐसे में वह हैल्दी रहता है।
घर खरीदने में करें सही चुनाव
अध्ययनों के मुताबिक, ज्यादा शोर शराबे वाली जगह पर घर होने से बच्चे ऑटिज्म के जल्दी शिकार हो सकते हैं। इसके लिए घर हमेशा सही व शांत इलाके में खरीदें। इसके अलावा अपने घर का माहौल भी शांत व खुशनुमा रखें।
इस तरह हो सकता है इलाज
ऑटिस्टिक बच्चे के इलाज में ईएनटी, साइकायट्रिस्ट, साइकोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट आदि का सहारा लिया जा सकता है।
बच्चे को प्यार से समझाएं
ऐसे बच्चे बातों को जल्दी समझ नहीं पाते हैं। इसके अलावा वे बहुत ही धीरे से बोलते हैं। इसलिए हमेशा शांत मन व प्यार से बच्चे की बात को सुने व उसे समझाएं। इसके लिए सबसे पहले बच्चों को बातें समझाें बाद में उन्हें उसे बोलने या दोहराने के लिए कहें।
समय-समय पर बच्चे को घूमाने लें जाएं
आमतौर पर ऑटिस्टिक बच्चे सोशल सर्कल में जाने से कतराते हैं। असल में, वे वहां असहज महसूस करते हैं। मगर फिर भी आप उन्हें बाहर आउटिंग पर जरूर लेकर जाएं। इससे उनका मन बहलेगा। साथ ही वे दूसरों से मिलने-जुलना सिखेंगे।
बात करना जरूरी
अगर आपका बच्चा इस बीमारी से पीड़ित है तो उसे अकेला ना छोड़ा। उससे बातें करें। आप चाहे तो कोई टॉपिक चुनकर पूरी फैमिली उसपर चर्चा कर सकती है।
खेल-खेल में नए शब्द सिखाएं
जैसे कि पहले ही हम आपके बता चुके हैं कि ऐसे बच्चे ठीक से बोल नहीं पाते हैं। ऐसे में आप उन्हें खेल-खेल में कुछ नए शब्द सिखा सकते हैं। खासतौर पर उन शब्दों को चुने जो बोलने में आसान व रोजमर्रा की जिंदगी में उनके काम आए।
गुस्सा ना करें
ऐसे में बच्चे डर व तनाव में जल्दी आ जाते हैं। इसलिए कोशिश करें कि उनसे हमेशा प्यार धैर्य से बात करें। इस बात का खास ध्याव रखें कि उन्हें तनाव न होने पाएं।