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जहां गोलियां चलीं, वहीं फरिश्ता बनकर उतरे आदिल,सैकड़ों को सुरक्षित बाहर निकालकर पहुंचाया घर

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 24 Apr, 2025 09:34 AM
जहां गोलियां चलीं, वहीं फरिश्ता बनकर उतरे आदिल,सैकड़ों को सुरक्षित बाहर निकालकर पहुंचाया घर

नारी डेस्क: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले के बाद कश्मीर में मौजूद सैलानी डर और दहशत के साए में जी रहे हैं। जो लोग कश्मीर की खूबसूरती देखने आए थे, अब वे किसी भी तरह अपने घर लौटना चाहते हैं।

डरे-सहमे सैलानी, लौटना चाहते हैं अपने घर

कई पर्यटक खासकर महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों से आए ग्रुप्स अब एक ही जगह जमा हैं। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। सभी की एक ही चिंता है – किसी तरह घर पहुंच जाएं। कुछ सैलानियों ने हफ्ते भर या 10 दिन बाद की टिकट बुक की थी, लेकिन आतंकी हमले के बाद अब कोई भी और एक पल भी यहां नहीं रुकना चाहता।

टिकट और साधनों की भारी किल्लत

हालात ऐसे हैं कि फ्लाइट्स की टिकट मिलना मुश्किल हो गया है। अगर कहीं टिकट मिल भी रही है तो किराया बेहद ज्यादा है, जो हर किसी के लिए संभव नहीं है। ऐसे में सैलानियों की परेशानी और भी बढ़ गई है।

'मेरा बेटा हर दिन पूछता है – मम्मी कब आओगी?'

एक महिला पर्यटक ने रोते हुए बताया, "मेरा 6 साल का बेटा रोज फोन करके पूछता है कि मम्मी कब घर आओगी? लेकिन मैं क्या जवाब दूं? हमें नहीं पता कि कब वापस जा पाएंगे। अब तो डर लगने लगा है कि कहीं कुछ हो न जाए।"

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'अब कभी कश्मीर नहीं आऊंगी' एक अन्य महिला सैलानी ने कहा, "मैं पहली बार कश्मीर आई हूं, लेकिन अब कभी नहीं आऊंगी। बहुत डर लग रहा है। नाम पूछकर मारा जा रहा है। मेरे बच्चे बार-बार फोन करके कह रहे हैं वापस आ जाओ।"

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आदिल मलिक – सैकड़ों सैलानियों की उम्मीद की किरण

ऐसे मुश्किल वक्त में सोपोर (कश्मीर) के रहने वाले आदिल मलिक एक मसीहा बनकर सामने आए हैं। आदिल पिछले 10 साल से पुणे की एक NGO 'सरहद' से जुड़े हैं। जब उन्होंने सैलानियों की हालत देखी, तो तुरंत मदद के लिए आगे आए। अब तक आदिल 100 से ज्यादा सैलानियों को सुरक्षित घर भेज चुके हैं।'घर में ठहराया, अलग व्यवस्था भी की' आदिल बताते हैं,

"कुछ लोगों को मैंने अपने घर में ठहराया है, और कुछ के लिए अलग से इंतज़ाम किया। अभी करीब 150 और लोग हैं, जो कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में फंसे हैं। उन्हें भी हम जल्द सुरक्षित निकाल लेंगे।"

'कश्मीर मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है' आदिल का कहना है, "22 अप्रैल का हमला कश्मीरियत पर धब्बा है। लेकिन इसे किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। कश्मीर तो अपनी मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है। जो लोग हमला कर रहे हैं, वे आतंकवादी हैं – उनका कोई धर्म नहीं होता।"

डर के बीच कुछ सैलानी दिखा रहे हैं हिम्मत

हालांकि, इस घटना के बावजूद कुछ सैलानी ऐसे भी हैं जिनके हौसले अब भी बुलंद हैं। उनका कहना है कि वे फिर से कश्मीर आएंगे। "कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, हम दोबारा यहां जरूर आएंगे। आतंकवाद हमें नहीं डरा सकता।"

पहलगाम में हुआ हमला न केवल कश्मीर बल्कि पूरे देश के लिए एक गहरी चोट है, लेकिन आदिल मलिक जैसे लोगों की इंसानियत और बहादुरी ने यह दिखा दिया कि अभी भी उम्मीद बाकी है। मुश्किल वक्त में ऐसे लोग ही असली हीरो बनते हैं।
  

 

 

 

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