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शारदीय नवरात्रि 2025:नवरात्रि में की है कलश स्थापना तो जान लें सारे नियम

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 21 Sep, 2025 05:28 PM
शारदीय नवरात्रि 2025:नवरात्रि में की है कलश स्थापना तो जान लें सारे नियम

नारी डेस्क:  शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत सोमवार, 22 सितंबर से हो रही है। यह नवरात्रि वर्ष की सबसे प्रमुख और पवित्र मानी जाती है, जिसमें भक्तगण नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना करते हैं। नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। यह शुभ कार्य न केवल पूजा की विधिवत शुरुआत है, बल्कि पूरे नवरात्रि की सफलता का आधार भी होता है।

शारदीय नवरात्रि 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो रही है। यह तिथि 22 सितंबर को रात 01:23 बजे से प्रारंभ होकर 23 सितंबर को रात 02:55 बजे तक रहेगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त भी इस दिन कई अलग-अलग समयों पर उपलब्ध रहेगा

अमृत मुहूर्त (सर्वोत्तम): सुबह 06:09 से 07:40 बजे तक

शुभ मुहूर्त: सुबह 09:11 से 10:43 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:49 से 12:38 बजे तक

भक्तों को चाहिए कि वे अपने सुविधाजनक समय के अनुसार इन मुहूर्तों में से किसी एक में कलश स्थापना करें। विशेष ध्यान रखें कि यह कार्य दिन में 12:38 बजे से पहले कर लिया जाए।

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कलश स्थापना की विधि (स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया)

पूजा स्थान की तैयारी: सबसे पहले घर या पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें। पूजा के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) को सबसे शुभ माना जाता है। वहां एक चौकी रखें और उस पर पीले या लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।

 अनाज बिछाएं: अब चौकी पर सात प्रकार के अनाज बिछाएं, जो जीवन के सात मुख्य पोषक तत्वों का प्रतीक होते हैं। यह अनाज धरती की उर्वरता और समृद्धि का संकेत माना जाता है।

कलश की स्थापना: एक मिट्टी, तांबे या पीतल का कलश लें। इसमें गंगाजल या साफ पानी भरें। इसके बाद उसमें अक्षत (चावल), सुपारी, हल्दी की गांठ, चंदन, एक सिक्का, दूर्वा (हरी घास) और फूल डालें।

कलश को सजाएं: अब आम या अशोक के पत्ते कलश के मुंह पर रखें। फिर एक सूखा नारियल लें, उस पर रोली और चंदन से तिलक करें और रक्षासूत्र लपेटें। इस नारियल को कलश के ऊपर रखें और एक साफ ढक्कन से कलश को ढंक दें।

जौ बोना: कलश के पास मिट्टी से भरी एक छोटी परात या पात्र में जौ बोएं। इन जौ पर हल्का पानी छिड़कें। नवरात्रि के 9 दिनों तक प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी देते रहें। ये जौ जैसे-जैसे अंकुरित होंगे, वैसे-वैसे घर में शुभता और समृद्धि बढ़ेगी।

अखंड ज्योति प्रज्वलित करें: कलश के पास एक अखंड दीपक जलाएं, जो पूरे नवरात्रि भर जलता रहे। इसे नौ दिनों तक लगातार जलाए रखना अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है।

देवी की पूजा शुरू करें: अब मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा करें और पूरे नौ दिन तक प्रतिदिन देवी के अलग-अलग रूपों की आराधना करें।

कलश स्थापना में उपयोग होने वाली सामग्री

कलश स्थापना के लिए पहले से पूजन सामग्री जुटा लेना जरूरी है ताकि पूजा के समय कोई बाधा न आए। आवश्यक सामग्री इस प्रकार है

मिट्टी या पीतल का कलश

गंगाजल या साफ जल

जौ और सात प्रकार के अनाज

आम, अशोक और केले के पत्ते

सूखा नारियल (जटावाला)

अक्षत (चावल), फूल, लाल फूलों की माला

रोली, चंदन, रक्षासूत्र

कपूर, धूप, दीप, माचिस, रूई की बाती

लौंग, इलायची

सुपारी, पान का पत्ता

पंचमेवा, फल, दूध से बनी मिठाई

मां दुर्गा का ध्वज या पताका

गाय का गोबर और घी

सभी सामग्रियां स्वच्छ, पवित्र और पूजा योग्य होनी चाहिए।

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कलश स्थापना का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

हिंदू धर्म में कलश को मातृशक्ति का प्रतीक माना जाता है। कलश स्थापना के साथ ही देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों का आह्वान किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलश में त्रिदेव  ब्रह्मा, विष्णु और महेश, तथा अन्य सभी देवी-देवताओं का वास होता है। कलश को जीवन, उर्जा, उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि में कलश स्थापना करके हम मां दुर्गा से अपने घर, परिवार और जीवन में सुख-शांति, सफलता और रक्षा की कामना करते हैं।

इस बार 9 नहीं, 10 दिन की होगी नवरात्रि

इस वर्ष एक विशेष संयोग के चलते शारदीय नवरात्रि 9 की बजाय 10 दिन की होगी। इस कारण से दुर्गा विसर्जन 11वें दिन, यानी 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को किया जाएगा। यह बदलाव तिथियों की गणना और पंचांग आधारित है।

शारदीय नवरात्रि न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। कलश स्थापना इसकी आधिकारिक शुरुआत है, जिसे पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक करना चाहिए। अगर आप इस नवरात्रि में मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं, तो पूजा की सभी विधियों को सही तरीके से अपनाएं और पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की भक्ति करें।
 

 

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