नवजात शिशु के लिए मां का दूध किसी अमृत समान होता है, जो उन्हें पोषण देने के साथ वायरल व बैक्टीरियल इंफैक्शन से बचाने में भी मदद करता है। शिशु को मां के दूध से ही वो सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं, जो उनके शारीरिक व मानसिक विकास में मदद करते हैं। मगर, दुनियाभर में कई ऐसे बच्चे हैं जो किसी ना किसी कारण इस अमृत से वचिंत रह जाते हैं। हालांकि शिशु के लिए मां के दूध की अहमियत समझते हुए कई 'मदर या ह्यूमन मिल्क बैंक' खोले गए हैं। सिर्फ विदेशों में ही नहीं बल्कि भारत में भी ऐसे शिशु के लिए कई 'ह्यूमन मिल्क बैंक' शुरू किए गए हैं।
क्या है मदर मिल्क बैंक?
इस बैंक में महिलाएं ब्रेस्ट मिल्क दान कर सकती हैं, जो जरूरतमंद शिशुओं को पिलाया जाता है। यहां उन मताओं से दूध लिया जाता है, जिनका मिसकैरेज हुआ हो या जिन्हें अधिक दूध आता हो। हालांकि कुछ महिलाएं अपनी खुशी से भी मिल्क डोनेट करती हैं। बता दें कि मदर मिल्क में दूध डोनेट करने की प्रक्रिया बिल्कुल सुरक्षित है। दूध दान में देने वाली महिला की जांच के बाद ही बाकी प्रोसिजर को आगे बढ़ाया जाता है। वहीं दूध लेने के बाद उसे -20 डिग्री पर रखा जाता है, जिससे वो 6 महीने तक खराब नहीं होता। मदर मिल्क बैंक में सिर्फ शिशु के लिए दूध जमा ही नहीं किया जाता बल्कि उन्हें जरूरतमंद शिशुओं को मुहैया भी करवाया जाता है।
ब्लड बैंक जितने ही जरूरी मिल्क बैंक
रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के तुरंत बाद दूध ना मिल पाने की वजह से भारत में हर साल 60 हजार बच्चे अपनी जान गवां बैठते हैं। वहीं कुछ कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। भारत प्रीमैच्योर बच्चों को जन्म देने वाले शिशु की लिस्ट में सबसे आगे है। मां का दूध शिशु के लिए पहले टीकाकरण की तरह होता है लेकिन फिर भी भारत में मदर मिल्क बैंक की कमी है। दुनियाभर में सिर्फ 16 मदर मिल्क बैंक है, जिसमें से 7 भारत में मौजूद है।
भारत का पहला 'मिल्क बैंक'
मां के दूध को 'लिक्विड गोल्ड' का दर्जा देकर डॉक्टर अरमीडा फर्नांडिस ने मुंबई में पहला मदर मिल्क बैंक खोला। इसके अलावा नई दिल्ली, राजस्थान, पुणे, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में मदर मिल्क बैंक खोले गए।
शिशु के लिए क्यों जरूरी मां का दूध?
मां के दूध में प्रोटीन और फैट के अलावा सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। वहीं यह गाय व भैंस के दूध तुलना में जल्दी पच भी जाता है। इसलिए इससे शिशु को गैस, कब्ज, उल्टी, दस्त की समस्या नहीं होती है।
दूध डोनेट करने में झिझक क्यों?
मां के दूध की अहमियत जानते हुए भी महिलाएं डोनेशन में झिझक महसूस करती हैं। वहीं, गांव की महिलाएं अभी तक मिल्ड डोनेशन से अंजान है। ऐसे में महिलाओं में इसे लेकर जागरूकता फैलाने के लिए प्रोग्राम करवाए जाने चाहिए, ताकि वह खुलकर इसमें अपना योगदान और एक शिशु को जिंदगी दें।