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पित्ताशय की पथरी से ग्रसित होती हैं ज्यादातर महिलाएं, जानिए लक्षण, कारण और इलाज

  • Edited By Shiwani Singh,
  • Updated: 31 Aug, 2021 07:00 PM
पित्ताशय की पथरी से ग्रसित होती हैं ज्यादातर महिलाएं, जानिए लक्षण, कारण और इलाज

गलत जीवनशैली के कारण पित्ताशय की पथरी यानी गाल ब्लैडर स्टोन की समस्या बढ़ रही है। यह समस्या लगभग हर उम्र के लोगों को हो रही है। लेकिन 30  से 50 साल की महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित हैं। एक अध्ययन के मुताबिक भारत में कुल आबादी में से लगभग 8 फीसदी लोग पित्ताशय की पथरी  से पीड़ित हैं। तब भी लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता की कमी हैं। आइए जानते हैं पित्ताशय की पथरी  के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में...

क्या होता है पित्ताशय?

पित्ताशय को इंग्लिश में गाल ब्लैडर कहते हैं। ये थैली के आकार का अंग होता है, जो पेट के दाहिनी तरफ लीवर के निचले हिस्से में पाया जाता है। इसका काम लीवर की ओर से उत्पादित पित्त को इकट्ठा करना है। ये पित्त हरे, पील रंग के होते हैं जिसका काम खाना पचाने में मदद करना है।

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पित्ताशय की पथरी क्या हैं?

पित्ताशय की पत्थरी को पित्त की पथरी और गाल ब्लैडर स्टोन भी कहा जाता है। पित्ताशय की पथरी कोलेस्ट्रॉल से बने छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं, जो शुरू में तो छोटे होते हैं लेकिन जैसे-जैसे इनका आकार बढ़ता है, वे कठोर होते जाते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप ये पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेते हैं। जिसके बाद पेट में असहनीय दर्द होता है।

कारण

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पित्ताशय में  पत्थरी  का कोई सटीक कारण सामने नहीं आ पाया है। लेकिन कुछ चीजें हैं, जिसकी वजह से ये समस्या होती हैं, जैसे- कम कैलोरी का सेवन, तेजी से वजन घटाने वाले भोजन, ज्यादा समय तक भूखे रहना, अधिक वजन होना, मसालेदार भोजन का सेवन, शराब-धूम्रपान, अनुवांसिक कारण और उम्र का बढ़ना है।

लक्षण
•उल्टी, जी मिचलाना और खट्टी डकार
•पेट और कमर में दर्द
•खाना न पचना
•अपच और बदहजमी
•डायरिया और मधुमेह
•दाएं कंधे में दर्द
•मोटापा और उसकी सर्जरी
•लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रस्त

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इलाज

जालंधर के एस.जी.एल सुपर स्पैशिएलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी सर्जन डॉ. दिशा स्याल बताती हैं कि पित्ताशय की पथरी का पता चलने पर शुरुआत में खानपान और जीवन शैली में बदलाव की सलाह दी जाती है जैसे- फल और हरी सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करें। वसा रहित आहार लें, बेकरी उत्पादों से बचें। खाने में विटामिन-सी और आयरन को शामिल करें। मरीज को एक दिन में 5-6  बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करना चाहिए। साथ ही नियमित व्यायाम भी जरूरी है। समस्या ज्यादा बढ़ने पर सर्जरी के जरिए पित्ताशय को निकालने की सलाह दी

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जाती है।

आजकल लैप्रोस्कोपिक के जरिए सर्जरी कर  पित्ताशय को निकाला जाता है। सर्जरी के 24 घंटे बाद मरीज घर आ सकता है। अगर किसी को पहले से हार्ट बर्न, राइट साइड में दर्द, पीलिया, अग्नाशयशोथ (पैंक्रियास में सूजन) जैसी समस्या है तो उन्हें बिना देर किए गैस्ट्रोसर्जन से परामर्श लेना चाहिए। परहेजअधिक कोलेस्ट्रॉल वाले पदार्थ जैसे तला-भूना , मसालेदार भोजन, चिप्स, उच्च वसा वाला मांस न खाएं। क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध, शराब और धूम्रपान से बचें। वजन ज्यादा है तो कम करें।

—डॉ. दिशा स्याल
 

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