विभिन्न शहरों में किए गए सर्वेक्षण में सामने आया है कि 14-17 आयु वर्ग के 96 प्रतिशत छात्रों को यह नहीं पता कि भारत में वेप्स और इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्रतिबंधित हैं तथा उनमें से 89 प्रतिशत इसके हानिकारक प्रभावों से भी अनजान हैं। सर्वेक्षण के निष्कर्ष ऐसे समय में आए हैं जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में प्रतिबंधित ई-सिगरेट बेचने वाली 15 वेबसाइट को नोटिस भेजकर ऐसे उत्पादों के विज्ञापन और बिक्री बंद करने का निर्देश दिया है।
1,007 छात्रों का किया गया सर्वेक्षण
‘‘व्यसन-मुक्त भारत की अवधारणा'' नामक सर्वेक्षण स्वतंत्र थिंक टैंक ‘थिंक चेंज फोरम' (टीसीएफ) द्वारा आयोजित किया गया। इसमें दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, मुंबई, पुणे और बेंगलुरु के स्कूलों के 1,007 छात्रों ने हिस्सा लिया। सर्वेक्षण में पाया गया कि इसमें शामिल 96 प्रतिशत बच्चों में से अधिकांश को यह जानकारी नहीं थी कि भारत में वेपिंग और इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्रतिबंधित हैं।
52 प्रतिशत बच्चों ने वेपिंग को माना हानिकारक
सर्वेक्षण में पाया गया कि कक्षा नौवीं से 12वीं तक के 14 से 17 वर्ष की आयु वर्ग के 89 प्रतिशत बच्चे वेपिंग और इसी तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से जुड़े हानिकारक प्रभावों से अनजान हैं। जो बच्चे वेपिंग के हानिकारक प्रभावों से अवगत नहीं थे, उनमें से 52 प्रतिशत ने वेपिंग को ‘‘पूरी तरह से हानिरहित'' माना और इसे एक अच्छी और फैशनेबल गतिविधि के रूप में देखा।
बच्चों को लेकर बढ़ी चिंता
सर्वेक्षण के मुताबिक अन्य 37 प्रतिशत ने इसे ‘‘मध्यम रूप से हानिकारक'' माना, लेकिन नुकसान की प्रकृति के बारे में समझ का अभाव था। सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 11 प्रतिशत बच्चों ने वेपिंग और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को हानिकारक के रूप में सही ढंग से पहचाना। सर्वेक्षण के परिणामों के बारे में पेरेंटिंग कोच और टेडएक्स स्पीकर सुशांत कालरा ने कहा- ‘‘बच्चों के इतने बड़े प्रतिशत को वेपिंग के हानिकारक प्रभावों से अनजान देखना बहुत परेशान करने वाला है।
तत्काल कदम उठाने की जरूरत
जानकारी नहीं होने से 14 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों के प्रभावित होने की आशंका है और उनके वेपिंग या नशीले पदार्थ वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लेने की काफी संभावना है।'' सुशांत कालरा ने कहा, ‘‘हमें इस सूचना अंतर को पाटने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए और अपने युवाओं को इसमें शामिल जोखिमों के बारे में जागरुक करना चाहिए।'' फोर्टिस हेल्थकेयर नोएडा में पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर के अतिरिक्त निदेशक डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा कि सूचना युग में रहने के बावजूद, भारत के युवाओं में नशीले पदार्थ की लत वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रति रूझान बड़ी चिंता का विषय है।
क्या होती है वैपिंग
वास्तव में यह भी एक प्रकार की ई सिगरेट ही होती है यह उतनी ही हानिकारक है जितनी बीड़ी, सिगरेट या कोई और तंबाकू उत्पाद। वैपिंग सिगरेट की तरह ही अंदर खींचा जाता है, मगर इसमें धुएं के बजाय कुछ लिक्विड कण होते हैं। निकोटीन और टेस्ट (ई-तरल) की धुंध को सांस के जरिए अंदर लेने के लिए एक छोटे हैंडहेल्ड डिवाइस (जैसे ई-सिगरेट, वेप पेन या मोड) का यूज किया जाता है। बैटरी की मदद से चार्ज होने वाले इस डिवाइस में लिक्वि होता है, जो इस्तेमाल के दौरान गर्म होकर हवा में उड़ता है। इसे बार बार चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें 8 से 10 सिगरेट के समान कश मौजूद होते हैं।
वैपिंग से क्या होता है नुकसान
एक्सपर्ट की मानें तो वेपिंग में पाया जाने वाला निकोटीन आपकी स्किन को जल्दी बूढ़ा बना सकता है। लिक्विड वैप में मौजूद निकोटीन कोलेजन को तोड़ सकता है, जो फाइन लाइन, रिंकल्स और ढीली स्किन का कारण बनता है। वक्त से पहले उम्र बढ़ने के साथ-साथ वेपिंग की वजह से स्किन रूखी भी हो जाती है और यह सब ई-सिगरेट में मौजूद केमिकल प्रोपलीन ग्लाइकोल की वजह से होता है। यह ना सिर्फ पीने वाले को बल्कि आसपास में मौजूद लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है।