
देश में कई सारे फेमस ब्रांड्स हैं जो सफल और लोकप्रिय हैं। हर कोई उन्हें जानता है और कभी-कभी तो उनका इस्तेमाल भी किया होगा। हालांकि, उस ब्रांड को सफलता के पीछे किसका हाथ हैं ये बात बहुत कम ही लोग जानते होंगे। ऐसा ही एक ब्रांड है पारले एग्रो की 'फ्रूटी'। बच्चे से लेकर बढ़े तक ने इस टेस्टी mango drink का स्वाद कभी ना कभी तो चखा होगा। तो आपको बता दें कि इस सफल ब्रांड के पीछे का एक महिला का हाथ है, जिनका नाम है नादिया चौहान। नादिया चौहान ने फ्रूटी को 300 करोड़ रुपये के ब्रांड से 8,000 करोड़ रुपये के ब्रांड तक कैसे पहुंचाया, आइए बताते हैं आपको इसके बारे में...

फ्रूटी के customers में आज अस्पतालों के मरीज से लेकर family functions का आनंद लेने वाले लोग तक शामिल हैं। पारले एग्रो की सेल्स में अकेले फ्रूटी की हिस्सेदारी करीब 48 % है।
कैलिफोर्निया के एक बिजनेस परिवार में जन्मी और मुंबई में पली-बढ़ीं नादिया चौहान ने एचआर कॉलेज से कॉमर्स की पढ़ाई की है। नादिया ने साल 2003 में 17 साल की उम्र में अपने पापा की फूड manufacturing कंपनी 'पार्ले एग्रो' में शामिल हो गईं। 1929 में नादिया के परदादा मोहनलाल चौहान द्वारा स्थापित, कंपनी ने 1959 में ड्रिंक बनाना शुरू किया।

जब चौहान 2003 में पारले एग्रो में शामिल हुए, तो कंपनी लगभग पूरी तरह से फ्रूटी पर निर्भर थी, जिसका कंपनी की सेल्स में लगभग 95 % हिस्सा था, जो की काफी बड़ा है। नादिया ने बस एक प्रोडक्ट पर कंपनी की निर्भरता कम करने और अन्य क्षेत्रों में विविधता लाने का निर्णय लिया। उन्होंने पैकेज वॉटर ब्रांड 'बेलीज़' लॉन्च किया, जो अब 1,000 करोड़ रुपये का ब्रांड बन गया है।
नई रणनीतियों के साथ, एग्रो पार्ले की बिक्री पहले के 300 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 8,000 करोड़ रुपये हो गई है। ढाबों और लंबी दूरी के बस ऑपरेटरों के साथ वितरण (distribution) और प्रमुख गठजोड़ के परिणामस्वरूप, कंपनी ने पिछले सालों में अपना बिजनेस दोगुना कर 5,000 करोड़ रुपये कर लिया है।

अप्पी फ़िज़
2005 में कंपनी को और सफलता देखने को मिली जब नादिया चौहान ने अपने दिमाग की उपज 'एप्पी फ़िज़' लॉन्च किया, जो सेब के जूस की श्रेणी में सबसे पहला प्रोडक्ट था, जब भारत सेब के जूस से अपरिचित था। ये एप्पल जूस को मार्केट में आते ही हिट गया। एप्पी फ़िज़ का कारोबार अब बढ़कर 5,000 करोड़ रुपये हो गया है। आज 'पार्ले एग्रो' कंपनी जितनी बुलंदियों पर है उसका पूरा श्रेय नादिया चौहान को जाता है।