18 APRFRIDAY2025 10:25:39 AM
Nari

जब मां ज्वाला देवी ने अकबर का घमंड किया था चकनाचूर, मां की दिव्य ज्योति का रहस्य नहीं सुलझा पाया कोई

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 02 Apr, 2025 04:58 PM
जब मां ज्वाला देवी ने अकबर का घमंड किया था चकनाचूर, मां की दिव्य ज्योति का रहस्य नहीं सुलझा पाया कोई

नारी डेस्क: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर शक्ति पीठों में से एक है। इस मंदिर में देवी की प्रतिमा नहीं है, बल्कि एक चमत्कारी अग्नि ज्वाला स्वयं प्रकट होती है, जिसे माता का दिव्य स्वरूप माना जाता है।   बिना किसी ईंधन के सदियों से दिन-रात जल रही इन ज्‍वालाओं के दर्शन करने के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर के आगे मुगल बादशाह अकबर भी सिर झुकाने पर मजबूर हो गया था। आज जानते है ज्वाला देवी मंदिर और अकबर से जुड़ी कहानी। 
PunjabKesari

 अकबर और ज्वाला देवी मंदिर की  कथा

यह कथा उस समय की है जब मुगल सम्राट अकबर ने भारत पर शासन किया था। अकबर को जब ज्वाला देवी मंदिर की अखंड जलती ज्वालाओं के बारे में पता चला, तो वह इसे अपनी शक्ति से इसे बुझाने का प्रयास करने लगा।  उसने सैनिकों को आदेश दिया कि वे मंदिर में जलने वाली अग्नि को पानी डालकर बुझाएं, लेकिन अग्नि वैसी ही जलती रही।

PunjabKesari
अकबर का मां ने तोड़ा था घमंड

जब सभी प्रयास विफल हो गए, तो अकबर ने मां ज्वालाजी के अनन्य भक्‍त ध्यानू की श्रद्धा व आस्था की परीक्षा लेने की कोशिश की। उसने ध्यानु के घोड़े का सर कटवा दिया और कहा कि अगर तेरी मां में शक्ति है तो घोड़े के सर को जोड़कर उसे जीवित कर दें। यह वचन सुनकर ध्यानु देवी की स्तुति करने लगा और अपना सिर काट कर माता को भेट के रूप में प्रदान किया। माता की शक्ति से घोड़े का सर जुड गया। तब अकबर को देवी की शक्ति का एहसास हुआ और उसने देवी के मंदिर में सोने का छत्र चढ़ाने का निश्‍चय किया परंतु उसे अभिमान हो गया कि वो सोने का छत्र चढ़ाने लाया है।


 वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए ज्वाला का रहस्य

इस अहंकार को तोड़ने के लिए माता ने उसके हाथ से छत्र को गिरवा दिया और उसे एक अजीब धातु में बदल दिया।  यह माता का चमत्कार था, जिसने अकबर को यह एहसास कराया कि कोई भी राजा या शासक मां की शक्ति से बड़ा नहीं हो सकता।  आज तक ये  छत्र  मंदिर में मौजूद है और उसे लेकर रहस्य बना हुआ है। यह मंदिर बिना किसी ईंधन के स्वयं प्रज्वलितहोती अग्नि के लिए प्रसिद्ध है। यह देवी सती के 51 शक्ति पीठों में से एक है, जहां देवी जीभ रूप में विराजमान है।कई वैज्ञानिक अध्ययनों के बावजूद इस ज्वाला का स्रोत आज तक पता नहीं चल सका है।  
PunjabKesari

भक्त गोरखनाथ से जुड़ी कथा

ज्वालादेवी मंदिर से संबंधित एक धार्मिक कथा के अनुसार, भक्त गोरखनाथ यहां माता की आराधना किया करते थे। वह माता के परम भक्त थे और पूरी सच्ची श्रद्धा के साथ उनकी उपासना करते थे। एक बार गोरखनाथ को भूख लगी और उसने माता से कहा कि आप आग जलाकर पानी गर्म करें, मैं भिक्षा मांगकर लाता हूं। माता ने आग जला ली। बहुत समय बीत गया लेकिन, गोरखनाथ भिक्षा लेने नहीं पहुंचे। कहा जाता है कि तभी से माता अग्नि जलाकर गोरखनाथ की प्रतीक्षा कर रही हैं। ऐसी मान्यता है कि सतयुग आने पर ही गोरखनाथ लौटकर आएंगे। तब तक यह ज्वाला इसी तरह जलती रहेगी।
 

Related News