कोरोना वायरस के मरीज व इस इंफेक्शन से ठीक हो चुके लोगों को सेल्फ-आइसोलेशन (Self Isolation) या होम क्वारंटाइन (Quarantine) की सलाह दी जा रही हैं। वहीं सरकार द्वारा लोगों से सामाजिक दूरी (Social Distance) बनाए रखने की अपील की जा रही हैं। सोशल डिस्टेंस यानि लोगों से खुद को अलग कर लेना। यह इसलिए जरूरी है ताकि वायरस को फेलने से रोका जा सकें लेकिन सेल्फ-आइसोलेशन, होम क्वारंटाइन और सोशल डिस्टेंस तीनों ही अलग है जिसके बारे में लोगों को पता होना बहुत जरूरी है।
चलिए आपको बताते हैं सेल्फ-आइसोलेशन, सोशल डिसटेंस और कोरांटाइन के बीच का फर्क...
क्या है सेल्फ-आइसोलेशन?
सेल्फ-आइसोलेशन का मतलब है कि खुद को दुनिया या यूं कहें स्वस्थ लोगों से अलग कर लेना। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को सेल्फ-आइसोलेशन (Self Isolation) में रखा जाता है। संक्रमित लोगों को काम पर, स्कूल व पब्लिक प्लेस पर जाने की मनाही होती है ताकि उनके जरिए वायरस ना फैल पाए।
क्या है होम क्वारंटाइन?
होम क्वारंटाइन (Quarantine) का मतलब है कि खुद को परिवारिक सदस्य से अलग रखना। अगर आपको कोरोना वायरस से संक्रमित होने का संदेह है या फिर सर्दी-जुकाम है तो आप एक कमरे में अपने आप को अलग कर लें। इससे आपके परिवार में किसी को वायरस नहीं फैलेगा। यह अवधि 14 दिन की होती है।
कब होती है जरूरत?
. कोरोना वायरस पॉजिटिव हो।
. इंफेक्शन ठीक होने के बाद भी।
. प्रभावित इलाके से सफर कर लौटे लोग।
. जो संक्रमित लोगों के संपर्क में आए हो।
क्या है सोशल डिस्टेंस?
सोशल डिस्टेंस यानि लोगों से दूरी बनाए रखना है। सरकार द्वारा पब्लिक प्लेस जैसे भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहने की अपील की जा रही है। सामाजिक दूरी बनाए रखना सबसे बेहतर विकल्प है, कोरोना वायरस से बचने का।
अगर आप संक्रमित हैं तो जरूरी बातें
. हवादार कमरे में रहना जरूरी
. पब्लिक प्लेस पर जाने की मनाही
. करीबी या दूसरे लोगों से भी बनाएं दूरी
. अलग बाथरुम का इस्तेमाल करें।
. घर के अन्य बुजुर्गों, गर्भवती औरत व बच्चों से दूर रहें।
. हाथ बार-बार धोएं।
. कम से कम 20 सेकेंड तक धोएं।
. तौलिए, कपड़े व खान-पान की चीजें अलग रखें।
. अलग बाथरूम यूज करें।
. कमरे की साफ-सफाई रखें।
. नेगिटिव ना सोचें।
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