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आकर्षण का केंद्र है दिल्ली का Lotus Temple, जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • Edited By neetu,
  • Updated: 04 Feb, 2021 06:05 PM
आकर्षण का केंद्र है दिल्ली का Lotus Temple, जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

भारत की राजधानी दिल्ली में घूमने के लिए बहुत सी जगह हैं। यहां पर खासतौर पर आपको ऐतिहासिक स्थल व मंदिर देखने को मिलेेंगे। इन स्थलों को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं। ऐसे में ही दिल्ली के बाहापुर गांव में कमल की आकृ़ति वाला एक मंदिर स्थापित है। कमल की शेप का होने से यह 'लोटस टेंपल' के नाम से मशहूर है। यह पवित्र स्थल बहाई धर्म से संबंधित रखता है। यह मंदिर देखने में सुंदर होने के साथ अपने अंदर कई रोचक तथ्य समाएं हुए है। तो चलिए आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं।

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यह मंदिर दिल्ली के बाहापुर गांव में स्थापित है। यह सन 1986 में बन कर तैयार हो गया था। साथ ही इसे आम जनता के लिए 1 जनवरी 1987 में खोल दिया गया था। 

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इस मंदिर को ईरानी वास्तुकार फारिबोरज़ सहबा ने लोटस की शेप बनवाया था। असल में, इस पवित्र स्थल के दरवाजे हिंदू और बौद्ध धर्म के साथ बाकी धर्मों के लिए भी खुले हैं। 

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यह मंदिर कमल के आकार में बना हुआ है। असल में, कमल का फूल कीचड़ में उगकर भी पवित्रता व शांति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए हर किसी को शांति व पवित्रता का संदेश देने के लिए इस मंदिर को लोट्स यानी कमल की शेप में तैयार किया गया है। इसी लिए इस मंदिर को लोटस टेंपल के नाम से जाना जाता है। 

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इस मंदिर में करीब 9 दरवाजें है, जो हर धर्म के लिए हमेशा खुले रहते है। बात यहां आने वाले यात्रियों की करें तो रोजाना 10 से 12 हजार लोग यहां दर्शन करने आते हैं। 

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वैसे तो कोई भी मंदिर भगवान की मूर्ति या तस्वीर के बिना अधूरा माना जाता है। मगर बात लोट्स टेंमल की करें तो यहां पर भगवान जी की ना ही कोई मूर्ति है और ना ही फोटो। मगर फिर भी यहां पर भक्तों की भीड़ जमा रहती है। मंदिर में कोई पूजा होने की जगह बस हर घंटे में करीब 5 मिनट तक प्रार्थना होती है। वे शांति से ईश्वर को याद करके उनकी ओर ध्यान लगाते हैं।  

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यह मंदिर करीब 25 एकड़ क्षेत्र में फैला है। कहा जाता है कि इस भव्य मंदिर का निर्माण करने के लिए करीब 10 साल का समय लगा था। इसे ग्रीस देश के मार्बल से तैयार किया गया है। साथ ही इस कमल को कुल 27 पंखुड़ियों से तैयार किया गया है। ऐसे में एक ही समय पर करीब 2300- 2500 यात्री मंदिर में दर्शन करने के लिए एक साथ आ सकते हैं। 

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जिस तरह कमल का फूल पानी में होता है ठीक उसी तरह इस मंदिर के चारों ओर भी तालाब व बाग-बगीचे बने हुए है। ऐसे में आप इस मंदिर की कल्पना पानी में खिले हुए कमल से कर सकते हैं। 

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ऐसे में अगर आप भी इस भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर कहीं शांति की तलाश में है तो एक बार इस मंदिर में जरूर जाएं। 

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