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1100 साल पुरानी जगन्नाथ मंदिर की रसोई, 6 रसों से बनता है भगवान के लिए भोग

  • Edited By palak,
  • Updated: 01 Jul, 2022 05:35 PM
1100 साल पुरानी जगन्नाथ मंदिर की रसोई, 6 रसों से बनता है भगवान के लिए भोग

आज से पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकल रही है। इसी कारण मंदिर की रसोई में लाखों लोगों के लिए प्रसाद बनेगा। आपको बता दें कि ये दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है, जहां पर हर रोज करीबन 1 लाख लोगों का खाना बनता है। इस मंदिर में भगवान को हर दिन 6 बार भोग लगाया जाता है। भोग के बाद यह महाप्रसाद मंदिर के परिसर में ही  बने हुए आनंद बाजार में भी बिकता है। 

11वीं शताब्दी में हुई थी शुरु 

जगन्नाथ मंदिर की यह रसोई 11वीं शताब्दी में राजा इंद्रवर्मा के समय में शुरु हुई थी। उस समय रसोई मंदिर के पीछे दक्षिण दिशा में थी। जगह की कमी होने के कारण रसोई 1682 से 1713 ई के बीच उस समय के राजा दिव्य सिंहदेव ने बनवाई थी। तभी से इसी रसोई में भगवान के लिए भोग बनाया जा रहा है। 

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हर दिन होता है नया बर्तन इस्तेमाल  

इस रसोई में कई परिवार पीढ़ियों से सिर्फ भोजन बनाने का ही काम कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ लोग महाप्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के बर्तन बनाते हैं। मंदिर की रसोई में बनने वाले शुद्ध और सात्विक भोग के लिए हर दिन नया बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि यही इस मंदिर की परंपरा है। 

240 चूल्हों और 8000 स्क्वेयर फीट की रसोई 

रसोई मंदिर की पूर्व-दक्षिण दिशा में है। इसके अलावा रसोई के उत्तर में गंगा और यमुना नाम के दो कुएं है उन्हीं कुओं के पानी से खाना बनता है। इस रसोई में 240 चूल्हें हैं और 9-10 मिट्टी के बर्तनों में खाना बनता है। 

800 लोगों की निगरानी में बनता है खाना 

इस रसोई में खाना बनाने वाले रसोईए ब्राह्मण परिवार के हैं जो कई पीढ़ियो से यहां पर खाना बना रहे हैं। 12 साल की उम्र में ही बच्चों को साथ में रखा जाता है ताकि पीढ़ियों तक यह परंपरा ऐसे ही चलती रहे। रसोई में खाना 500 रसोईए 300 सहयोगियों के साथ मिलकर बनाते हैं। 

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रोज नई  700 हांडियों में बनता है खाना 

जब खाना बन  जाता है तो सारी हांडियों को तोड़ दिया जाता है। इसके बाद अगले दिन के लिए नई हांडियों का प्रयोग किया जाता है। 700 छोटी-बड़ी हांडियों में खाना बनाया जाता है जो कुम्हारों के करीब 100 परिवार मिलकर बनाते हैं। 

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15 मिनट में बनता है 17,000 लोगों का खाना 

रसोई के 175 चुल्हों पर चावल बनते हैं जिसके लिए 10-12 लोगों के खाने जितने चावल एक मिट्टी के बर्तन में भरे जाते हैं। ऐसे ही 15 मिनट में 17,000 लोगों के खाने के लिए चावल बनता है।

6 रस वाला भोग बनता है 

रोज भोग के लिए 6 अलग रस का इस्तेमाल किया जाता है।  इसमें मीठा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसौला स्वाद होता है।

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56 भोग और 10 तरह की मिठाइयां 

रसोई में 56 तरह के भोग रोजाना बनते हैं। इसके अलावा कम से कम 10 मिठाइयां भी बनती हैं। सब्जियों में देशी मूली, केला, बैंगन, सफेद और लाल कद्दू, कंदमूल, परवल, बेर और अरबी भी बनाई जाती है। दालों में सिर्फ मूंग, अरहर, उड़द और चने की दाल का भोग लगाया जाता है। भगवान के लिए शुद्ध और सात्विक भोजन ही बनाया जाता है। इसमें प्याज, टमाटर और लहसुन का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 

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