
नारी डेस्क: अश्विन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर श्री महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ा। भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को खीर का भोग लगाया गया। इस दौरान बाबा महाकाल का भांग से भव्य स्वरूप में शृंगार कर कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को नवीन मुकुट के साथ रुद्राक्ष और मुंड माला धारण कराई।
पुजारी अमर शर्मा कहते हैं, "आज शरद पूर्णिमा महापर्व है। चांदनी रात में प्रांगण में बनाई गई खीर... भगवान महाकालेश्वर को अर्पित की गई और भस्म आरती पूजन किया गया।" शरद पूर्णिमा की रात को खीर को चांदनी में रखने की प्रथा है, माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों से खीर पवित्र होती है और उसमें अमृत तत्व समाहित हो जाता है।
शरद पूर्णिमा को चंद्रदेव वलक्ष्मी माताकी पूजा का दिन माना जाता है, और विभिन्न देवता-देवी को मीठे भोग भी अर्पित किए जाते हैं। कहा जाता है कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी पूर्ण छटा (16 कलाएं) लेकर पृथ्वी पर अपनी दिव्य किरणें बिखेरता है, जिनसे भोजन पवित्र एवं लाभदायक हो जाता है। इस विश्वास के आधार पर खीर को रातभर चांदनी में रखा जाता है। महाकाल मंदिर में इस विधान में यह विश्वास है कि इस भोग से भक्तों को आशीर्वाद और कल्याण की प्राप्ति होती है।