22 DECSUNDAY2024 6:11:38 PM
Nari

Kangana Ranaut पहुंची मां कामाख्या के दरबार , माता के मंदिर में जाने से पहले जान लें ये बातें

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 29 Jun, 2023 03:47 PM
Kangana Ranaut पहुंची मां कामाख्या के दरबार , माता के मंदिर में जाने से पहले जान लें ये बातें

पंगा क्वीन कंगना रनौत हाल ही में कामाख्या देवी के मंदिर में पहुंची। मां का आशीर्वाद लेने के बाद कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर मंदिर का वीडियो और एक लंबा पोस्ट शेयर किया। वीडियो में उन्होंने लाइट पर्पल कलर का सूट और गले में लाल रंग की चुनरी डाली थी। एक्ट्रेस को इस वीडियो में भक्ति में लीन देखा जा सकता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Kangana Ranaut (@kanganaranaut)

कंगना पहुंची कामाख्या देवी मंदिर

मंदिर बेहद ही सुंदर है और इसकी वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने लिखा - 'आज कामाख्या मां के मंदिर में दर्शन किए....इस मंदिर में जगतजननी माईं की योनि रूप की पूजा की जाती है। बता दें कि ये माई की शक्ति का एक विराट रूप है, जहां पर उन्हें मांस और बलि का भोग लगता है'। 

PunjabKesari

आइए आपको बताते हैं ऐसी 5 बातें जो कामाख्या देवी मंदिर के दर्शन करने वाले हर भक्त को पाता होनी चाहिए..

तांत्रिकों का गढ़ 

मां कामाख्‍या का यह मंदिर तांत्रिकों का प्रमुख सिद्धपीठ माना जाता है। यहां पर दुनियाभर के तांत्रिक विशेष दिनों में एकत्रित होते हैं। माता कामाख्‍या तांत्रिकों की देवी होने के साथ ही कुछ संप्रदायों की कुल देवी भी हैं। यह महान शक्ति-साधना का गढ़ है।
 
 52 शक्तिपीठों में से एक 

कामाख्या देवी मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में सबसे प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर देवी सती की योनि गिरी थी। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुंड) स्थित है। यह देवी माता सती का ही एक रूप है।

PunjabKesari

हर कामना होती है पूरी

कहते हें कि यहां हर किसी की कामना सिद्ध होती है, इसी के चलते इस मंदिर को कामाख्या देवी का मंदिर भी कहा जाता है। कामाख्या देवी की सवारी सर्प है। कामाख्या मंदिर से कुछ दूरी पर उमानंद भैरव का मंदिर है। ये मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में टापू पर स्थित है। इसके दर्शन करना भी जरूरी है।

PunjabKesari

पत्थर से निकलती है खून की धारा

ये मंदिर 3 हिस्सों में है। इसका पहला हिस्सा सबसे बड़ा है, जहां पर हर शख्स को जाने नहीं दिया जाता है। दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैं, जहां एक पत्थर से हर समय पानी निकलता है। कहते हैं कि महीने में एक बार इस पत्थर से खून की धारा निकलती है। ऐसा क्यों और कैसे होता है, यह आज तक किसी को ज्ञात नहीं है। मान्यता है कि 3 दिन देवी मासिक धर्म से रहती हैं।

बरतें ये सावधानी

कामाख्या मंदिर में अम्बूवाची (जून के बीच में) के समय कुछ विशेष सावधानी रखनी चाहिए। इस समय नदी में स्नान नहीं करना चाहिए। जमीन या मिट्टी को खोदना नहीं चाहिए और न ही कोई बीज बोना चाहिए। इन दिनों में यहां शंख और घंटी नहीं बजाते हैं। भक्त अन्न और जमीन के नीचे उगने वाली सब्जी और फलों का त्याग करते हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत जरूरी है। जितना ज्यादा हो सकता है अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

PunjabKesari

कैसे पहुंच सकते हैं इस मंदिर

कामाख्या मंदिर असम की राजधानी गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। सड़क, वायु या रेलमार्ग से गुवाहाटी पहुंचकर आसानी से कामाख्या माता मंदिर पहुंचा जा सकता है।

Related News