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Global Warming: दुनिया पर मंडरा रहा Giant वायरस का खतरा, मुश्किल होगा निपटना

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 29 Mar, 2020 01:22 PM
Global Warming: दुनिया पर मंडरा रहा Giant वायरस का खतरा, मुश्किल होगा निपटना

जहां इस वक्त दुनियाभर में कोरोना वायरस ने आफत फैला रखी वहीं लोगों के उपर जायंट वायरस का भी खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बर्फ में कितने कीटाणु व जीवाणु छिपे हो सकते हैं।

स्टडी के अनुसार, ग्लेशियर की बर्फ के अंदर कई तरह का वायरस व जीवाणु छिपे हो सकते हैं। ऐसा पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि वो मर चुके हैं। ऐसा भी हो सकता है कि वे सदियों से निष्क्रिय अवस्था में हो और बर्फ पिघलने के बाद ही जिंदा हो जाएं।

हम खुद बढ़ा रहे हैं खतरा

दरअसल, लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के कारण बर्फ तेजी से पिघल रही है। अगर ग्लोबल वॉर्मिंग इसी तरह तेजी से बढ़ती रही तो हमें हजारों जीन्स, वायरस व बैक्टीरियां का सामना करना पड़ सकता है।

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कोरोना से सबक लेना है जरूरी

फिलहाल दुनिया कोरोना के कहर से जूढ रही हैं, जो चमगादड़ जैसे जीव की वजह से दुनिया में आया। रिपोर्ट के मुताबिक, चमगादड़ोंं का सूप पीना कोरोना वायरस की वजह माना जा रहा है। हालांकि इस बारे में अभी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता लेकिन यह तय है कि सार्स कोरोना वायरस-2 चमगादड़ों में लंबे समय से देखा जा रहा है। ऐसे में हम सभी को कोरोना से सबक लेना चाहिए और ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के प्रयत्न करने चाहिए।

इन्हें क्यों कहते हैं जायंट वायरस?

दरअसल, ज्यादातर वायरस छोटे साइज के होते हैं और उनके अंदर सिर्फ कुछ ही जीन्स होते हैं। मगर, अनुमान है कि कुछ जायंट वायरस बैक्टीरिया से बड़े हो सकते हैं। हालांकि वायरस हो या बैक्टीरिया इन्हें देखने के लिए हमें माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है। इनमें जेनेटिक मटीरियल भी 100 से हजार जीन्स का भी हो सकता है।

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क्या कहती है रिसर्च?

साल 2014 में हुई एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने एक जायंट वायरस को देखा। इसके अगले साल यानी 2015 में साइबेरिया में ही एक और जायंट वायरस देखा गया, जिसमें 500 से अधिक जींस पाए गए। अब तक सबसे घातक माने जानेवाले वायरसों में से एक HIV में मात्र 9 जींस होते हैं।

इंसानों के लिए खतरनाक है यह वायरस

शोधकर्ताओं को ये जायंट वायरस हजार फीट गहराई में 30 हजार साल पुराने ग्लेशियर में मिले। जब शोधकर्ताओं ने इन वायरस को अमीबा से एक्सपोज किया तो इन वायरस ने तुरंत ही अमीबा को इंफेक्ट कर दिया। इससे रिसर्चर्स ने पता लगाया कि ये वायरस अभी तक जीवित हैं। परेशानी की बात यह है कि ये वायरस ना केवल जेनेटिकली ज्यादा बड़े होते हैं बल्कि वातावरण में लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। यही कारण है कि यह इंसानों के लिए भी खतरनाक माने जा रहे हैं।

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अब तक का सबसे बड़ा वायरस

वैज्ञानिकों को ग्लेशियर्स के अंदर से अब तक जो सबसे बड़ा वायरस मिला है, उसका नाम मिमी वायरस है, जिसमें 1200 जींस पाए गए। यह वायरस नैकेड आईज से तो नहीं देखा जा सकता लेकिन फिर भी यह साइज में काफी सारे बैक्टीरिया से बड़ा है।

ग्लेशियर पिघलने की कई वजह

. ग्लोबल वॉर्मिंग
. माइनिंग यानी खदान खोदना
. ऑयल ड्रिलिंग यानी जमीन से तेल निकालना

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