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बर्फ का पानी बन सकता है हार्ट अटैक की वजह, सद्गुरु ने बताया सही तापमान

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 07 May, 2025 02:51 PM
बर्फ का पानी बन सकता है हार्ट अटैक की वजह, सद्गुरु ने बताया सही तापमान

नारी डेस्क: गर्मी का मौसम जोरों पर है और हर दिन तापमान बढ़ता जा रहा है। कई इलाकों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है और मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। ऐसे में, तेज धूप और गर्म हवाओं से शरीर का पानी जल्दी सूखने लगता है और बार-बार प्यास लगती है। इस मौसम में ठंडा पानी पीना मानो एक सुकून भरा अनुभव होता है। लेकिन क्या बर्फ मिलाकर पानी पीना वाकई फायदेमंद है?

गर्मी में बर्फ वाला पानी पीना – आम लेकिन गलत आदत

अक्सर देखा जाता है कि लोग गर्मी में अपने पीने के पानी में बर्फ डालकर पीते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि यह ठंडक और राहत देता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत धीरे-धीरे आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक बन सकती है? आयुर्वेद के साथ-साथ आधुनिक डॉक्टरों की भी यह सलाह है कि जरूरत से ज्यादा ठंडा या बर्फ वाला पानी शरीर पर नकारात्मक असर डाल सकता है।

सद्गुरु की सलाह – कितना ठंडा पानी पीना चाहिए?

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु ने इस विषय पर जानकारी देते हुए बताया है कि पानी कितना ठंडा होना चाहिए जिससे वह शरीर के लिए नुकसान न बन जाए।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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पानी का तापमान 4 डिग्री से कम न हो

सद्गुरु ने बताया कि अमेरिका जैसे देशों में लोग आमतौर पर एक गिलास पानी में 3-4 बर्फ के टुकड़े डालकर पीते हैं। परंतु अगर आप योगी हैं या अपने शरीर और मन को बेहतर बनाना चाहते हैं तो आपको ऐसा पानी पीना चाहिए जो आपके शरीर के तापमान से ज्यादा अंतर न रखे।

शरीर के तापमान के अनुसार सही पानी

हमारे शरीर का सामान्य तापमान लगभग 37 डिग्री सेल्सियस होता है। शरीर के भीतर यह लगभग 30 डिग्री सेल्सियस तक महसूस होता है। इसलिए, 26 से 34 डिग्री सेल्सियस तापमान का पानी सबसे सही माना जाता है। अगर तापमान थोड़ा ऊपर हो, यानी 40 डिग्री सेल्सियस तक भी हो, तो भी यह नुकसानदायक नहीं है।

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छात्रों को कैसा पानी पीना चाहिए?

सद्गुरु के अनुसार, अगर आप विद्यार्थी हैं और पढ़ाई में बेहतर ध्यान और ज्ञान चाहते हैं, तो आपको लगभग 8 डिग्री सेल्सियस के आसपास का पानी पीना चाहिए। अगर आप घर पर रहते हैं और ज्यादा शारीरिक परिश्रम नहीं करते तो 12 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का पानी आपके लिए उपयुक्त है।

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बहुत ठंडा पानी क्यों नुकसान करता है?

पाचन तंत्र धीमा हो जाता है – ठंडा पानी खाने को ठीक से पचाने में रुकावट डालता है।

तापमान में गिरावट – शरीर का तापमान अचानक कम हो जाता है, जिससे थकान और कमजोरी महसूस होती है।

गले की कोशिकाओं पर असर – बहुत ठंडा पानी गले को झटका देता है, जिससे खांसी या गले में खराश हो सकती है।

नसें सिकुड़ जाती हैं – बहुत ठंडा पानी शरीर की नसों को सिकोड़ देता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो सकता है।

मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है – अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो ठंडा पानी आपकी मेटाबॉलिज्म की गति को घटा सकता है।

दांतों की संवेदनशीलता बढ़ती है – बर्फ चबाना या बहुत ठंडा पानी पीना दांतों की नसों को संवेदनशील बना सकता है।

गर्मी में ठंडा पानी जरूर राहत देता है लेकिन अगर वह जरूरत से ज्यादा ठंडा हो तो आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकता है। हमेशा कोशिश करें कि पानी हल्का ठंडा हो, लेकिन बहुत ज्यादा ठंडा न हो।

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