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Heart Stroke Risk: दिल की नसें बंद होने की यहीं तो बड़ी निशानी, ब्लॉकेज से पहले एक्शन लें

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 23 Aug, 2025 08:20 PM
Heart Stroke Risk: दिल की नसें बंद होने की यहीं तो बड़ी निशानी, ब्लॉकेज से पहले एक्शन लें

नारी डेस्कः दुनियाभर में दिल की बीमारियां और स्ट्रोक, समय के साथ सबसे गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों के रूप में उभरे हैं। आधुनिक जीवनशैली, तनाव, अनहैल्दी लाइफस्टाइल, खान-पान और फिजिकल एक्टिविटी की कमी से हर उम्र के लोग इन रोगों की चपेट में आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल करोड़ों जानें दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के कारण जाती हैं जो वैश्विक मृत्यु-दर का सबसे बड़ा हिस्सा है। दिल और मस्तिष्क दोनों के लिए ब्लड सर्कुलेशन सही से होना बहुत जरूरी है, जब यह प्रवाह किसी कारण से बाधित होता है तो 'हार्ट अटैक' या 'ब्रेन स्ट्रोक' जैसी आपातकालीन स्थितियां पैदा हो सकती हैं। आज दिल और हार्ट स्ट्रोक से जुड़ी आपको कुछ जरूरी जानकारी साझा करते हैं। 
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दिल में स्ट्रोक होने के लक्षण (Heart Stroke Symptoms)

सीने में दर्द या दबाव: आमतौर पर चलने-सीढ़ी चढ़ने, तनाव या ठंड में और बढ़ता; आराम में घटता है।
सांस फूलना, थकान, चक्कर आना।
दर्द का फैलना: कंधा, बांह, जबड़ा, पीठ में दर्द। 
अनियमित धड़कन, मतली/अपच, ठंडा पसीना। 
हार्ट अटैक लक्षण: असहनीय, लगातार दर्द, हार्ट रेट गिरना, सांस रुकना, इमरजेंसी में तुरंत अस्पताल जाएं।

दिल की नसें ब्लॉक होने के बड़े कारण  (Heart Stroke Risk Factors)

एशियाई/भारतीयों में दिल की बीमारी का बोझ तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसका सबसे बड़ा कारण बदलता-बिगड़ता लाइफस्टाइल, खराब अनहैल्दी आहार और फिजिकल एक्टिविटी ना के बराबर करना है। 
मुख्य कारण: धमनियों में कोलेस्ट्रॉल-प्लाक (Atherosclerosis)।
रिस्क फैक्टर्स: हाई BP, हाई LDL/कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मोटापा, धूम्रपान, खराब अनहैल्दी लाइफस्टाइल, ऑयली मीठा खाना ज्यादा खाना, जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस, उम्र और जेनेटिक्स।
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दिल की जांच कैसे (Heart Diagnosis)?

ECG और ट्रोपोनिन टेस्ट
स्ट्रेस/ट्रेडमिल टेस्ट, इकोकार्डियोग्राफी
CT/कैथ-लैब coronary angiography: ब्लॉकेज की स्पष्ट पुष्टि।

यह भी पढ़ेंः भारत में हर 40 सेकंड में Brain Stroke का नया केस, पहले 4 FAST संकेत दिखे तो तुरंत अस्पताल पहुंचे

कैसे होगा इलाजः देसी + डॉक्टरी (Heart Health Treatment)

1. एविडेंस-बेस्ड डॉक्टरी इलाज, दवाए व मेडिकल थेरेपी (OMT) जरूरी जो अच्छी डॉक्टरी सलाह से होगी। 
2. ब्लड-प्रेशर कंट्रोल रखना जरूरी। अगर लगातार ब्लड प्रैशर बढ़ रहा तो निगरानी रखनी जरूरी।
3. एंटी-प्लेटलेट एजन्ट: एस्पिरिन/क्लोपिडोग्रेल–हार्ट अटैक/स्टेंट के बाद ज़रूरी।
4. अन्य दवाएं: बीटा-ब्लॉकर्स, ACE-I/ARBs, नाइट्रेट्स, SGLT2i/GLP-1 RA (डायबिटीज़/हृदय-फेल्योर में) जो डॉक्टरी सलाह पर दी जा रही है। 
5. कार्डियक रिहैब: फ़िजियोथैरेपी, स्ट्रक्चर्ड एक्सरसाइज़-प्रोग्राम्स।
6. एंजियोप्लास्टी/स्टेंटिंग या बायपास सर्जरी जब ज़रूरी हो तो। 

2. देसी/लाइफस्टाइल उपाय (साइंटिफिक सपोर्ट के साथ)

WHO और The Lancet गाइडलाइंस के अनुसार, खाने में फाइबर युक्त भोजनन, मोटा अनाज, फल, हरी सब्ज़ी, ताज़ा घर का हल्का खाना। कम तेल, चीनी और नमक से बना खाना खाना जरूरी। साबुत आनाज, मेवे, दालें जरूर शामिल करें। 
पोर्टियन कंट्रोल यानि प्लेट का आधा हिस्सा सब्ज़ियों- सलाद से भरा हो।
योग-प्राणायाम का सहारा लें। सैर और हल्की एक्सरसाइज देख-रेख में करें।
लहसुन का सेवन करें ये कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने में मदद करता है लेकिन उचित मात्रा में ही इसका सेवन करें। 
वजन कंट्रोल में रखें, पूरी नींद लें और जितना हो सके तनाव से दूर रहें। 
रेड मीट का सेवन कम करें। धूम्रपान और शराब से दूर रहें। 

रोज़मर्रा की हेल्थ रूटीन कैसी हो?

डॉक्टर से चेकअप, दवाएं नियमित लें।
नमक दिन में सिर्फ 5 ग्राम तक ही सीमित हो। साथ में ताजी सब्जियां और फल मेवे खाएं। 
रोज़ाना 30–45 मिनट एक्सरसाइज़।
स्ट्रेस कम, पर्याप्त नींद लें।
तंबाकू, शराब पूरी तरह बंद करें।
अगर सीने में तेज दर्द या सांस लेने में कोई रुकावट या अचानक थकान महसूस हो रही हो तो तुरंत देरी किए डॉक्टर के पास जाएं। 

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