नारी डेस्क : गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत स्थापना करके 10 दिनों तक पूजा-अर्चना की जाती है। गणेश चतुर्थी 2025 में भगवान गणेश की स्थापना 27 अगस्त को की जाएगी। भगवान गणेश को विघ्नों को हरने वाला, बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है। ऐसे में गणपति की मूर्ति किस रंग की हो, यह भी विशेष महत्व रखता है।
घर में कौन से रंग के गणपति की स्थापना करें?
1. सफेद रंग के गणपति
सफेद रंग के गणपति की स्थापना घर में शांति और समृद्धि के लिए बेहद शुभ मानी जाती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, सफेद रंग की गणपति प्रतिमा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और वातावरण को शांत व सौहार्दपूर्ण बनाती है। यह रंग मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और स्थिरता का प्रतीक है। जो लोग अपने घर में रोज़मर्रा के तनाव, कलह या अशांति से मुक्ति पाना चाहते हैं, उनके लिए सफेद गणपति की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। इनकी स्थापना से मन में एकाग्रता बढ़ती है, घर में प्रेम बना रहता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

2. सिंदूरी (लाल) रंग के गणपति
सिंदूरी रंग के गणपति की स्थापना आत्म-विश्वास, कार्यसिद्धि और सफलता प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह रंग ऊर्जा, शक्ति और संकल्प का प्रतीक होता है। जो लोग अपने करियर, शिक्षा या व्यवसाय में नई शुरुआत कर रहे हों या लंबे समय से कोई कार्य पूर्ण नहीं हो रहा हो, उनके लिए सिंदूर गणपति का पूजन विशेष फलदायी होता है। इनकी पूजा से इच्छाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं, बाधाएं दूर होती हैं और आत्मविकास की दिशा में प्रगति मिलती है। विशेष रूप से युवा, विद्यार्थी, नौकरीपेशा और उद्यमियों के लिए सिंदूरी गणपति की स्थापना अत्यधिक लाभदायक मानी जाती है।
क्या न करें?
घर में एक से अधिक गणेश प्रतिमाएं न रखें।
टूटी-फूटी या खंडित मूर्ति की स्थापना से बचें।
मूर्ति स्थापना के बाद नित्य पूजा करें, अनदेखी न करें।
पूजा और स्थापना का शुभ मुहूर्त
तारीख: मंगलवार, 27 अगस्त 2025
चतुर्थी तिथि आरंभ: सुबह 06:01 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 28 अगस्त, सुबह 03:23 बजे

स्थापना का शुभ समय (मध्यान काल मुहूर्त)
दोपहर 11:06 से 13:39 बजे तक। इसी समय में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करना सबसे शुभ माना गया है।
गणेश प्रतिमा स्थापना विधि
लकड़ी की चौकी पर पीले वस्त्र को बिछाएं।
उस पर गणपति प्रतिमा स्थापित करें।
कलश की स्थापना करें।
मूर्ति को गंगाजल या पंचामृत से शुद्ध करें।
फूल, धूप, दीप, दूर्वा और मोदक अर्पित करें।
दिनभर फलाहार करें और सायंकाल घी का दीपक जलाएं।
नोट : यह लेख धार्मिक मान्यताओं और वास्तु सिद्धांतों पर आधारित है। किसी भी पूजा, मूर्ति स्थापना या धार्मिक निर्णय से पहले अनुभवी पंडित या वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित रहेगा।