भारत का एक गांव जिसका नाम 'टिल्टेपक' है। आपको सुनकर हैरानी होगी कि यहां के सभी लोग अंधे हैं। जी हां जोपोटेक जनजाती के यह लोग असल में जन्म से ही अंधे नहीं होते बल्कि जन्म के वक्त सब ठीक होते हैं, पर धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी खत्म होनी शुरु हो जाती है। इसका कारण अभी तक किसी को भी पता नहीं चल पाया है, यह एक रहस्य बना हुआ है। तो चलिए आज जानते हैं इस रहस्यमई गांव के बारे में कुछ बातें।
एक पेड़ को मानते हैं अंधेपन की वजह
यहां के लोगों की सुनें तो उनका कहना है कि यहां लगे एक पेड़ 'लावजुएजा' को देखने के बाद इंसान अंधा हो जाता है। इस बात को सुनने के बाद वैज्ञानिकों ने यहां आकर इस बात की तय तक पहुंचने की ठानी। उनके द्वारा खोज में पता चला कि लोगों के अंधे होने का कारण कोई पेड़ नहीं, बल्कि एक विषैली मक्खी है। यह मक्खी जब किसी इंसान को काटती है, तो सीधा उसकी आंखों पर ही अटैक करती है। जिस कारण उस इंसान की आंखे सूज जाती है और धीरे धीरे मक्खी का सारा जहर पूरे शरीर में फैल जाने के कारण लोगों को दिखना बंद हो जाता है।
अजीब-गरीब हरकतें करते हैं लोग
यहां रहने वाले लोगों की हरकतें बहुत अजीब सी हैं। खाने में यह लोग बाजरा और मिर्च खाते हैं। बाजरे की तो समझ आती है पर साथ में सूखी मिर्च खाने का मतलब समझ नहीं आता। इस गांव में कुल 70 झोपड़ियां हैं, उनमें हैरानी की बात है कि उन झोपड़ियों में कोई खिड़की नहीं हैं। नेत्रहीन होने की वजह से झोपड़ियों में हवा का न आने देने से भी मतलब आज तक किसी को समझ नहीं आया।
इंसान ही नहीं पक्षी और जानवर भी अंधे
सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि यहां के पशु-पक्षी भी नहीं देख पाते। आपको इस गांव में पक्षी चहचहाते हुए नहीं मिलेंगे। क्योंकि जब भी पक्षी उड़ने की कोशिश करतें हैं वह पेड़ों से टकराकर नीचे गिर जाते हैं। इस वजह से वह अधिक देर तक जीवित भी नहीं रहते।
रात को पीते हैं शराब
यहां के लोग रोज रात को खाना खाने के बाद शराब पीकर नाच-गाना करते हैं। इन सबसे पता चलता है कि ये लोग अपने जीवन से दुखी नहीं हैं। उन्हें अपने गांव में फैली हुई इस बीमारी का कोई दुख नहीं है। इन लोगों के पास लकड़ी के बने औजार हैं,जिनका इस्तेमाल यह अपनी रक्षा के लिए करते हैं।