बेटियों को घर की रौनक कहा जाता है। कहते हैं कि इनके बिना घर सुना होता है। वहीं एक बेटी अपनी मां नहीं बल्कि पिता के ज्यादा करीब होती है। शायद इसी कारण बेटियों को 'पापा की परी' कहा जाता है। ऐसे में हर पिता अपनी बेटी की जिंदगी खुशियों से भरी रहने की कामना करता है। इसके साथ हर पेरेंट्स का सपना होता है कि उनकी बेटी शादी के खुशी से अपने ससुराल में खुशियों से भरी जिंदगी बीताएं। मगर इसके लिए एक पिता को बेटी की शादी से पहले उसे कुछ सीख देनी चाहिए। चलिए जानते हैं उन खास बातों के बारे में...
सास-ससुर को मां-बाप समझें
अक्सर लड़कियां सास-ससुर को आदर तो देती है। मगर उन्हें मां-बाप का दर्जा नहीं दे पाती है। मगर इससे रिश्तों में मजबूती नहीं आ पाती है। इसलिए पेरेंट्स का फर्ज है कि वे अपनी बेटी को समझाएं कि वे अपने सास-ससुर को पेरेंट्स की तरह समझें। अपने मां-बाप की तरह उनका ध्यान रखें व जरूरतों को समझें। इससे उसे ससुरालवालों के दिल में जल्दी जगह बनाने में मदद मिलेगी।
ससुराल वालों के रीति-रिवाजों को अपनाएं
हर किसी के घर में अलग-अलग रीति-रिवाज निभाएं जाते हैं। इसलिए शादी के बाद लड़की को अपने ससुराल के रीति-रिवाज व तौर-तरीकों को समझना व इसे अपनाने की जरूरत है। इससे वे ससुरालवालों के दिल में जल्दी ही जगह बना सकती है।
सभी की इज्जत करना
हर कोई चाहता है कि उनकी बहु उनकी इज्जत करें। घर को अच्छे से संभाले। इसलिए जरूरी है कि बेटी सास-ससुर के साथ घर के बाकी सदस्यों की भी इज्जत करें। सभी की जरूरतों का ध्यान रखें। वह बड़ों का आदर व छोटो को प्यार करें। इससे घर में एकता व खुशहाली वाला माहौल बना रहेगा।
दूसरों की सुनना भी जरूरी
बेटियां मां-बाप के घर पर तो मर्जी की मालिक होती है। मगर ससुराल में उसे पूरी तरह से वह माहौल नहीं मिल पाता है। इसलिए अपनी बेटी को धैर्य व सहना भी सिखाएं। हो सकता है कि उसे अपने पति या सास की कोई बात पसंद ना आए। मगर इसपर उनसे बहस करना गलत होगा। इससे रिश्ते में खटास आ सकती है। बेहतर होगा कि वे अपनी बात जिद्द से नहीं बल्कि प्यार से दूसरों के आगे रखें। इसके साथ हर बार अपना फैसला सुनाने की जगह पर दूसरों की सुनने व बात मानने की आदत डालें।
आत्मविश्वास बनाएं रखें
शादी के बाद हर लड़की को कई परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। ऐसे में कई बार काम पूरा ना होने पर वे खुद को गलत समझने लगती है। ऐसे में एक पिता का फर्ज बनता है कि वे अपनी बेटी को सही व गलत के बारे में समझाएं। उसे मुसीबत से डरने नहीं बल्कि उसका सामना करना सिखाएं। बेटी को हर हाल में आत्मविश्वास बनाएं रखने की सीख दें।
किसी काम को करने से डरे ना
आमतौर पर पेरेंट्स बेटियों पर ज्यादा काम का बोझ नहीं डालते हैं। मगर ससुराल में उसे हर काम करना पड़ता है। ऐसे में वह कई बार घर का बजट संभालते हुए घबरा सकती है। इसलिए आप उन्हें समझाएं कि किसी चीज व परिस्थिति से डरने या घबराने की जगह पर शांति से काम लें। इसके अलावा परेशानी बढ़ने पर अपने पति व सास-ससुर की मदद लें। इससे उसका काम एकदम परफेक्ट होगा। साथ ही उसका रिश्ता ससुरालवालों के साथ मजबूत होगा।