हमारे शरीर में मुंह से पेट तक खाना पहुंचाने के लिए एक खोखली नली होती है, जिसे आहार नली कहते हैं। जब इसमें बार-बार इंफैक्शन होने लगता है तो कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। जब यह नली कैंसर से ग्रसित हो जाती है, तो इसे आहार नली का कैंसर या इसोफैगस कैंसर कहते हैं।
क्या होती है आहार नली
आहर नली को अंग्रेजी में एसोफैगस कहते हैं। हम जो खाना खाते हैं इसोफैगस यानी आहार नली उसे पचाने के लिए पेट में पहुंचाती है। जब इसोफैगस में कैंसर हो जाता है तो इसे इसोफैगस कैंसर या आहर नली का कैंसर कहते हैं। यह कैंसर आहार नली में कही भी हो सकता है। कैंसर होने पर नली के रास्ते बंद हो जाते हैं और मरीज को खाना खाने-पीने में परेशानी होने लगती हैं। इस दौरान उल्टी और अपचय जैसी समस्या होने लगती है।
कारण
आहार नली के कैंसर का कोई सटीक कारण नहीं है। सामान्य तौर पर यह तब होता है जब एसोफैगस की कोशिकाओं के डी.एन.ए. में कुछ गड़बड़ी आ जाती है। इस गड़बड़ी की वजह से कोशिकाएं अनियंत्रित होकर बढ़ती जाती हैं और अलग-अलग हो जाती हैं। कुछ समय बाद जब कोशिकाएं एकत्र होकर जमने लगती हैं तो वह ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। इसके अलावा शराब, ध्रूमपान, बहुत गर्म तरल पदार्थ पीना, खाने में हरी साग-सब्जी की कमी इस बीमारी के कारण हैं। एसिड का आहार नली में वापस आना भी इसका एक कारण है। इसलिए स्वस्थ जीवन शैली के साथ वजन घटाने और एसिड प्रतिवाह पर नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण है।
लक्षण
शुरूआत में इस बीमारी के लक्षण का पता नहीं चल पाता लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है इसके लक्षण सामने आने लगते हैं, जो इस प्रकार हैं—
• अचानक वजन कम होना
• खट्टी डकार और उल्टी
• सीने में जलन, दर्द और थकान
• खाना निगलने में परेशानी
• खाना खाते समय घुटन होना
• पुरानी खांसी और हिचकी
• खाना वापस ग्रासनली में ऊपर आना
उपचार
जालंधर के एस.जी.एल. सुपर स्पैशिएलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी सर्जन डॉ. दिशा स्याल के अनुसार-जैसे ही इस बीमारी के बारे में पता चले, इलाज शुरू कर देना चाहिए। एक बार यह बढ़ गया तो इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। यदि मरीज को निगलने में परेशानी हो, भूख कम लगे, वजन कम होने लगे तो प्रारंभिक एंडोस्कोपी से इसका पता लगाया जा सकता है। इस स्टेज पर उपचार के साथ सर्जरी लाभ प्रदान कर सकती है। कुछ जरूरी बचाव इसके खतरे को कम कर सकते हैं जैसे- शराब, सिगरेट और तंबाकू का कम सेवन, नियमित व्यायाम, डेली डाइट में फल और सब्जियों का सेवन और जीवनशैली में बदलाव।
-डॉ. दिशा स्याल