नारी डेस्क: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक देव दीपावली मनाई जाती है, इसे देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन गंगा के घाटों पर दीप जलाकर भगवान शिव, भगवान विष्णु, और अन्य देवताओं की पूजा की जाती है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर भद्रावास समेत कई दुर्लभ मंगलकारी योग बन रहे हैं। इस दौरान किया गया पूजन अक्षय गुना फलों को प्रदान करता है।
भद्रा का समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल देव दीपावली पर भद्रा का साया मंडरा रहा है, लेकिन उसका वास स्वर्ग में होगा। देव दीपावली पर स्वर्ग में भद्रा का साया प्रात: काल 06:44 मिनट से लेकर शाम 04:37 मिनट तक है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा जब स्वर्ग में निवास करती है तब पृथ्वी पर कल्याणकारी होती है। भद्रा वास को चंद्रमा की स्थिति से जाना जाता है। चंद्रमा के राशि प्रभाव के अनुसार ही भद्रा के निवास को जाना जाता है।
इन राशियों को मिलेगा विशेष लाभ
ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक, इस बार देव दीपावली पर मंगलकारी वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। यह योग 15 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा। इस दौरान जो जातक सच्चे मन से भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करेंगे, उनके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली का प्रसार होता है
इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे, जिससे गुरु की युक्ति से गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ के साथ मिलकर शश राजयोग, शुक्र और गुरु एक दूसरे की राशि में परिवर्तन से राजयोग बना रहा है, वहीं मंगल के कर्क राशि में स्थित होकर मीन राशि में राहु के साथ नवपंचम राजयोग का निर्माण कर रहा है। ये दुर्लभ योग कुछ राशियों के लिए विशेष लाभकारी हो सकते हैं।
देव दीपावली का महत्व
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, जो तीनों लोकों में आतंक मचा रहा था। त्रिपुरासुर का अंत कर भगवान शिव ने देवताओं को इस संकट से मुक्त किया, जिसके बाद देवताओं ने दीप जलाकर इस विजय का उत्सव मनाया। इसी दिन को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष में अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे शिव की महिमा का उत्सव माना जाता है।
देव दीपावली की पूजा विधि
शाम को गंगा के घाटों पर दीप जलाए जाते हैं, और भक्त अपने घरों में भी दीपों की पंक्ति सजाते हैं। इस दिन विशेष रूप से शिव और विष्णु की पूजा की जाती है, और उनके चरणों में दीप समर्पित किए जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।