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ऐसे 5 कारण, जिसने कोरोना वायरस को बनाया खतरनाक

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 25 Oct, 2020 10:00 AM
ऐसे 5 कारण, जिसने कोरोना वायरस को बनाया खतरनाक

दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस ने घातक रूप ले लिया है। दुनिया में पहले भी महामारी के कई मामले सामने आए हैं लेकिन हर संक्रमण या फ्लू से निपटने के लिए इतना इंतजार नहीं करना पड़ा। फिर क्यों कोरोना वैक्सीन को खत्म होने में इतना समय लग रहा है? क्यों कोरोना वैक्सीन बनाने में देरी हो रही है? आखिर कोरोना वायरस इतना घातक कैसे बन गया? दरअसल, इस वायरस की बायोलॉजी में कुछ ऐसा है, जो लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। चलिए आपको बताते हैं ऐसे 5 कारण, जिसकी वजह से कोरोना ने घातक रूप ले लिया।

धोखा देने में माहिर

कोरोना फेफड़े व श्वसन तंत्र पर सबसे असर डालता है लेकिन इम्यून सिस्टम को सबकुछ लगता है। दरअसल, हमारे शरीर की कोशिकाओं से इंटरफर्नो नाम का केमिकल्स रिलीज होता है। जब कोई वायरस इन केमिकल्स पर कब्जा करता है तो प्रतिरक्षा तंत्र को अलर्ट मिल जाता है। मगर, कोरोना वायरस के मामले में ऐसा नहीं है। यह वायरस नाक में इतनी अच्छी तरह रहता है कि आपको बीमारी होने का पता नहीं चल पाता। वहीं, संक्रमित कोशिकाओं को लैब में देखने पर भी वो ठीक लगती है लेकिन टेस्ट करने पर वायरस होने का पता चलता है।

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हिट एंड रन जैसा वायरस

वायरस के लक्षण तब दिखने शुरू होते हैं जब वह 'लोड पीक' तक पहुंचता है। ऐसी स्थिति में भी मरीज बीमार फील नहीं करता लेकिन वायरस एक-दूसरे के जरिए फैलता रहता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि साल 2002 में मिलन मूल सार्स-कोरोना वायरस और मौजूदा वायरस में बहुत फर्क है। सार्स वायरस में लक्षण दिखने के बाद उन्हें आईसोलेट करना आसान हो जाता था लेकिन कोरोना के मामले में ऐसा नहीं है।

शरीर के लिए अजनबी वायरस

स्वाइन फ्लू , डेंगू, सार्स को लेकर भी लोगों में काफी डर था लेकिन वह उतना खतरनाक नहीं निकला। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों में वायरस से लड़ने की क्षमता पहले से ही मौजूद थी। मगर, ये नई तरह का वायरस है जिससे लड़ने के लिए लोगों की इम्यूनिटी तैयार नहीं है। यह यूरोप में फैले स्मॉलपॉक्स की तरह है, जिससे लड़ने के लिए भी लोगों के शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा नहीं थी इसलिए वह घातक साबित हुआ था।

पूरे शरीर तक पहुंच

सबसे खतरनाक बात तो यह है कि कोरोना वायरस फेफड़ों के साथ पूरे शरीर में फैल जाता है। यह ना सिर्फ फेफड़ों की कोशिकाओं को मारता है बल्कि उन्हें खराब भी कर देता है, जिससे वो आपस में जुड़ नहीं पाती और बड़ी बीमारी बन जाती है। फ्लू के बाद फेफड़े ठीक हो जाते हैं जबकि कोरोना वायरस में ऐसा नहीं होता। वहीं, इसमें शरीर में खून के थक्के भी बनने लगते हैं, जिसके वजह से कई बार डॉक्टर्स नसें भी नहीं ढूंढ पाते। कोविड-19 के कुछ मरीजों में तो खून के थक्के बनने के मामले सामान्य से 200, 300, 400 गुना अधिक पाए गए।

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एसीई2 रिस्पेटर के जरिए शरीर में फैलता है कोरोना

यह वायरस एसीई2 रिस्पेटर के जरिए कोशिकाओं को संक्रमित करता है और पूरे शरीर में फैल जाता है। एसीई2 रिस्पेटर ब्लड सेल्स, फेफड़ों, किडनी, लिवर और पूरे शरीर में पाया जाने वाला प्रोटीन है।

वसा है सबसे खतरनाक

शोध के मुताबिक, मोटे लोगों को भी कोरोना अधिक नुकसान पहुंचाता है। दरअसल, मोटापे लोगों में वसा अधिक होती है, जिससे मेटाबॉलिक सिस्टम गड़बड़ा जाता है। यही वायरस से जुड़कर शरीर के बाकी अंगों पर बुरा असर डालता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस की तहें जैसे-जैसे खुलेंगी वैसे-वैसे इंसानी शरीर इससे निपटने के लिए खुद को तैयार कर सकेगा।

बुजुर्गों के लिए खतरनाक क्यों?

बुजुर्गों के लिए किसी नए वायरस से लड़ने के लिए नई इम्यूनिटी बना पाना मुश्किल होता है क्योंकि उनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। वहीं, इम्यूनिटी का अहम हिस्सा माने जाने वाले टी-सेल्स बहुत भी अधिक उम्र में कम बनते हैं इसलिए उनमें जल्दी नई इम्यूनिटी विकसित नहीं होती।

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