कोरोना वायरस की चपेट में अब तक लाखों लोग आ चुके हैं। वहीं बदलता मौसम और चिंता बढ़ा रहा है। कोरोना से निजात पाने के लिए देश दुनिया के तमाम वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन पर काम रहे हैं। वहीं कोरोना अस्थमा, डायबिटीज, हृदय रोग से पीड़ित व बुजुर्ग लोगों को जल्दी इफेक्ट करता है। इसलिए बुजुर्गों को खासकर जो 50-60 की उम्र पार कर चुके हैं, उनसे सोशल डिस्टेंस की अपील की जा रही हैं। इसी बीच एक अध्ययन में सामने आया है कि गठिया के उपचार में काम आने वाली दवा कोरोना से संक्रमित बुजुर्ग मरीजों को बचा सकती है।
गठिया की दवा बुजुर्गों के लिए कारगर
खबरों की मानें तो कोरोना वायरस के खिलाफ यह एक नया हथियार मिल जाएगा जो बुजुर्ग मरीजों के मरने के जोखिम को कम कर सकती है। पत्रिका साइंसेज एजवांसेज में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक 81 साल के औसत आयु के 83 मरीजों को बैरीसिटनिब नाम की दवाई दी गई थी। ये मरीज मध्यम से गंभीर कोरोना वायरस से संक्रमित थे। अध्ययन में सामने आया है कि जिन मरीजों को यह दवा दी गई उनमें दूसरे मरीजों की तुलना में मौत का खतरा 71 फीसद घट गया।
बड़े पैमाने पर किया जा रहा क्लीनिकल परीक्षण
इसके अलावा अध्ययन में ये भी सामने आया है कि जिन मरीजों को यह दवा दी गई थी उनमें 17 फीसद की मौत हुई या उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखने की जरूरत पड़ी। जबकि इस दवाई का सेवन का नहीं करने वाले मरीजों में इस स्थिति से गुजरने वाले 35 फीसद थे। अनुसंधान दल का कहना है कि इस निष्कर्ष को बड़े पैमाने पर क्लीनिकल परीक्षण में टेस्ट किया जा रहा है।
वहीं हाल ही में बायोटेक कंपनी मॉडर्ना (Moderna) की ओर से एक खुशखबरी आई है। दरअसल, कंपनी का दावा है कि उनकी वैक्सीन कोरोना से लड़ने में 94.5% तक कारगर है। बायोटेक ने वैक्सीन के परीक्षण के दौरान आधे लोगों को 28 दिन तक वैक्सीन की डोज दी थी। वहीं आधे लोगों को उसी दौरान प्लेसिबो (नकली वैक्सीन) के दो डोज दिए गए थे। क्लीनिकल ट्रायल के विश्लेषण के आधार पर कंपनी ने कहा कि उनकी वैक्सीन ने 94.5% तक असर दिखाया।