दुनियाभर में कोरोना वायरस को लेकर कोहराम मचा हुआ है। हालांकि रूस व चीन के बाद भारत, अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन कोरोना वैक्सीन बनाने के काफी करीब है। इसी बीच अमेरिका से वैक्सीन को लेकर एक बड़ी खुशखबरी आई है। दरअसल, व्हाइट हाउस से मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिकी वैक्सीन का टीकाकरण 11 या 12 दिसंबर से शुरू हो सकता है।
PFizer ने मांगी आपात इस्तेमाल की इजाजत
बता दें कि अमेरिका की फाइजर और जर्मनी का साझेदार बायोएनटेक ने अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन को आवेदन दिया था, ताकि वो आपात टीकाकरण शुरू कर सके। हालांकि FDA 10 दिसंबर को मीटिंग करने के बाद इसका फैसला लेगा। अगर कंपनी को मंजूरी मिल जाती है तो बिना देरी टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा। वैज्ञानिकों की योजना टीकाकरण केंद्रों में 24 घंटे के अंदर वैक्सीन पहुंचाने की है। हालांकि पूरा कार्यक्रम मंजूरी मिलने पर निर्भर करता है।
95% असरदार है वैक्सीन
गौरतलब है कि इससे पहले फाइजर और बायोएनटेक कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन 95% असरदार है। हालांकि कंपनी का तीसरा क्लीनिकल ट्रायल अभी चल रहा है। खबरों के मुताबिक, उनकी एक डोज की कीमत करीब 20 डॉलर यानी करीब 1500 रुपए होगी। हालांकि कंपनी की तरफ से इस बारे में कोई पुष्टि नहीं की गई है।
हर उम्र के लोगों पर असरदार
जर्मन कंपनी बायोएनटेक और अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर की वैक्सीन बुजुर्गों के साथ-साथ हर उम्र के लोगों के लिए असरदार है। फिलहाल इसके कोई साइड-इफेक्ट भी देखने को नहीं मिले है। 170 कोरोना पॉजिटिव वॉलिंटियर्स को दूसरी खुराक देने के बाद सिर्फ 3.7% हल्की थकान देखी गई। वहीं, कुछ उम्रदराज में भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स दिखे थे लेकिन वो गंभीर नहीं थे।
दूसरे ट्रायल में दिखे थे साइड-इफैक्ट्स
हालांकि फाइजर वैक्सीन के दूसरे ट्रायल में लोगों को कुछ साइड-इफैक्ट हुए थे। वॉलंटिअर्स ने बताया कि वैक्सीनेशन के बाद उन्हें हैंगओवर, सिरदर्द, बुखार और मांसपेशिंयों में दर्द महसूस हो रहा था, जैसा कि फ्लू की वैक्सीन लेने पर होता है।
वैक्सीन के लिए डिलीवरी भी बड़ी चुनौती
भारत में वैक्सीन ट्रायल को खारिज कर दिया है क्योंकि फाइजर वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है। वहीं, कंपनी के लिए भी वैक्सीन केंद्रो तक पहुंचाना अभी तक चुनौती बनी हुआ है। फिलहाल वैक्सीन को सुरक्षित रखने का कोई तरीका खोजा जा रहा है।
गौरतलब है कि अमेरिका में कोरोना के मामले 1 करोड़, 20 लाख के पार जा चुके हैं जबकि ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की जान जा चुकी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक जल्द से जल्द टीकाकरण शुरू करना चाहते हैं।