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Paris Olympics 2024: विनेश फोगाट के बाद भारत की आखिरी उम्मीद रितिका हुड्डा

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 11 Aug, 2024 02:46 PM
Paris Olympics 2024: विनेश फोगाट के बाद भारत की आखिरी उम्मीद रितिका हुड्डा

नारी डेस्क: पेरिस ओलंपिक 2024 में विनेश फोगाट के डिस्क्वालिफाई हो जाने के बाद अब सारी उम्मीदें भारत की आखिरी पहलवान रितिका हुड्डा पर है। शनिवार को उन्होंने 76 किलोग्राम भार वर्ग में प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेला। इस कैटेगरी में ओलंपिक तक पहुंचने वाली वो पहली भारतीय महिला हैं हालांकि, रितिका का पहलवान बनने का सफर इतना आसान नहीं था। एक वक्त वह इतना टूट गई थीं कि उन्होंने रेसलिंग छोड़ने का फैसला कर लिया था।

खरकड़ा गांव की रहने वाली हैं रितिका हुड्डा

22 साल की रितिका रोहतक के खरकड़ा गांव की रहने वाली हैं। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने रेसलिंग शुरू कर दी थी और उनका सपना था कि वो एक दिन भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीते। इस सपने को साकार करने के लिए रितिका के पैरेंट्स ने उन्हें पूरा सपोर्ट दिया। हालांकि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, फिर भी उन्होंने रितिका की हर जरूरत पूरी की। रितिका एक किसान परिवार से हैं। उनके पिता, जगबीर सिंह, किसान हैं, जबकि उनकी मां एक गृहिणी हैं। रीतिका की कुश्ती में रुचि उनके नाना द्वारा शुरू हुई थी क्योंकि वह भी पूर्व पहलवान रह चुके थे।

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रीतिका ने साक्षी मलिक को अपनी प्रेरणा माना था जिन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। केवल 15 साल की उम्र में, रीतिका रोहतक के सिर छोटू राम स्टेडियम में प्रशिक्षण ले रही थीं और उस समय साक्षी मलिक की जीत ने उन्हें और प्ररेणा दी। रीतिका उस पल को याद करते हुए कहती हैं, "साक्षी का स्वागत बहुत बड़ा था, और इसे देखकर मैंने सोचा कि कब मैं वहां पहुंचूंगी, कब मेरा समय आएगा?"

क्वालिफाई न होने पर कुश्ती छोड़ देने का फैसला किया था

साल 2022 में मिली हार से उन्हें गहरा धक्का लगा था वो एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स दोनों के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकीं। इससे रितिका इतना निराश हुईं कि उन्होंने कुश्ती छोड़ देने का फैसला किया लेकिन तब भी रितिका के पेरेंट्स उनके साथ डटे रहे और उनकी हिम्मत से रितिका फिर मेहनत कर आगे आई। रितिका ने 2023 में अंडर-23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और गोल्ड मेडल जीतकर कामयाबी हासिल की। ऐसा करने वाली वो पहली भारतीय महिला भी बनीं और आगे ओलंपिक के लिए मेहनत करती रही। रितिका ने पेरिस जाने से पहले गोल्ड मेडल को अपना लक्ष्य बताया था। अब वो इससे केवल 4 कदम की दूरी पर हैं। अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्हें और 4 मुकाबले जीतने होंगे हालांकि, इसका पहला पड़ाव राउंड 16 होगा।

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भारत की आखिरी उम्मीद हैं रीतिका

2024 में, रीतिका हुड्डा भारतीय कुश्ती में एक महत्वपूर्ण नाम बन चुकी हैं। विनेश फोगाट की अयोग्यता के बाद, रीतिका अब पेरिस 2024 ओलंपिक में महिलाओं की कुश्ती में भारत की आखिरी उम्मीद हैं। उनकी सफलता 2024 एशियन कुश्ती ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट में देखने को मिली, जहां उन्होंने अपने समूह में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। उन्होंने चीन की वांग जुआन, मंगोलिया की एनख-आमारिन डावानासन और दक्षिण कोरिया की ह्वांग यून-जू को हराया।

बता दें कि पेरिस ओलंपिक 2024 में अब तक भारत की झोली में कुल 6 पदक आए हैं। इनमें से 5 कांस्य पदक है जबकि नीरज चोपड़ा ने भारत को एकमात्र सिल्वर मेडल दिलाया है। विनेश फोगाट को अयोग्य घोषित किया गया तो करोड़ों भारतीय काफी निराश हुए उन्हें उम्मीद है कि रितिका हुड्डा उस गम को खत्म कर भारतीय फैंस के चेहरे पर नई खुशी ले आएगी।  

 


 


 

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