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पराई स्त्री नहीं, खुद की बेटी सीता पर बुरी नजर डालना बना रावण के अंत का कारण!

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 07 Jun, 2023 06:07 PM
पराई स्त्री नहीं, खुद की बेटी सीता पर बुरी नजर डालना बना रावण के अंत का कारण!

निसंतान मिथिला नरेश जनक को खूब तापस्या के बाद धरती मां का आशीर्वाद मिला था।  एक दिन हल चलाते हुए उन्हें धरती से सीता मिली, जिसे उन्होंने अपनी पुत्री मानकर उसे पाला-पोशा और श्रीराम से उनका स्वयंवर करवाया।  मगर असल में सीता रावण और मंदोदरी की बेटी थी। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बनीं भगवान विष्णु की उपासक वेदवती। सीता इन्हीं वेदवती का पुनर्जन्म थीं। वेदवती बेहद सुंदर, सुशील और धार्मिक कन्या थी। वो विष्णु उपासक होने के साथ उनसे ही विवाह करना चाहती थी। वेदवती अपनी इच्छा पूर्ति के लिए सांसारिक जीवन छोड़ उपवन में कुटिया बनाकर तपस्या में लीन हो गईं। इस दौरान एक दिन रावण वहां से निकला तो सुंदर वेदवती का देखकर मोहित हो उठा। अपनी आदत के चलते उसने वेदवती से दुर्व्यवहार करना चाहा, नाराज होकर वेदवती ने हवन कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी। मगर मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि वो खुद रावण पुत्री के रूप में जन्म लेकर उसकी मृत्यु का कारण बनेंगी।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार कुछ समय बाद ही रावण की रानी मंदोदरी गर्भवती हुई , जिससे उन्हें पुत्री की प्राप्ती हुई। इसे वेदवती के श्राप का असर समझकर रावण ने अपनी बेटी को सागर में फिंकवा दिया। सागर में डूबती कन्या सागर देवी वरुणी को मिली, जिन्होंने उसने धरती की देवी को सौंप दिया। जहां से वो राजा जनक और रानी सुनैना को मिलीं और कालांतर सीता के रूप में जानी और पूजी गईं। राम विवाह और पंचवटी में सीता के अपहरण के चलते श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई कर रावण का वध कर दिया।

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अपहरण से पहले अग्नि को शरीर सौंफ चुकी थी सीता

सीता मैया  दिव्या स्वरूप मानी जाती है कि जब रावण उनके अपहरण के लिए आया, इसके पहले सीता ने अपना वास्तविक शरीर अग्निदेव को सौंप दिया था। दरअसल अगर रावण वास्तविक सीताजी को बुरी निगाह से देखता तो वहीं भस्म हो जाता। यही वजह थी कि अंत में भगवान राम ने अग्नि परीक्षा के रूप में सीता को अग्नि देवता से पुनः प्राप्त किया, लेकिन धरती से उत्पन्न हुईं सीता अंत में उसी में समा गईं।

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नोट- यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि हम किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।

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