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Nari

35 साल बाद स्कूल के 24 दोस्त निकले थे चारधाम यात्रा पर, उत्तरकाशी की बाढ़ में हुए लापता

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 08 Aug, 2025 10:23 AM
35 साल बाद स्कूल के 24 दोस्त निकले थे चारधाम यात्रा पर, उत्तरकाशी की बाढ़ में हुए लापता

नारी डेस्क: उत्तरकाशी जिले के धराली इलाके में भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के बाद पश्चिमी राज्य के 151 पर्यटक फंस गए हैं, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार उत्तराखंड प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में है। वहीं इसी बीच 24 दोस्तों का एक समूह मंगलवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने और भारी बारिश के बाद संपर्क से बाहर हो गया। किस्मत का खेल देखो ये लोग 35 साल बाद मिले और अब एक साथ ही हादसे का शिकार हो गए। 
 

1 अगस्त को यात्रा पर निकला था दोस्तों का ग्रुप

आवासी खुर्द निवासी अशोक भोर और 1990 बैच के उनके दसवीं कक्षा के 23 दोस्त 35 साल बाद 'चार धाम यात्रा' के लिए निकले थे। समूह के कई सदस्यों  ने 1 अगस्त को मुंबई से ट्रेन से अपनी यात्रा शुरू की और 12 अगस्त को दिल्ली से एक उड़ान के माध्यम से लौटने वाले थे। भोर के बेटे आदित्य ने बताया कि परिवार ने आखिरी बार उनसे सोमवार शाम करीब 7 बजे बात की थी, जब उनका समूह गंगोत्री से लगभग 10 किलोमीटर दूर था और गिरे हुए पेड़ों और मामूली भूस्खलन के कारण फंस गया था। 


नहीं हो पा रहा किसी से संपर्क

 पर्यटक के बेटे ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा-  "तब से, हम उनसे या समूह के किसी अन्य सदस्य से संपर्क नहीं कर पाए हैं। उनके मोबाइल फोन पर संपर्क नहीं हो पा रहा है।" समूह में से एक बैचमेट मल्हारी अभंग, जो  इस यात्रा में शामिल नहीं हो पाए थे, ने कहा- "मैंने उनसे आखिरी बार सोमवार दोपहर को एक वीडियो कॉल पर बात की थी, और कुछ ने गंगोत्री जाने के बारे में सोशल मीडिया पर अपडेट पोस्ट किए थे। लेकिन उसके बाद, हम उनसे संपर्क नहीं कर पाए हैं।" 


बचाव अभियान जारी

इस समूह ने 5 अगस्त को उत्तरकाशी में रुकने और अगले दिन गौरीकुंड जाने की योजना बनाई थी। बादल फटने की घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने और समूह की स्थिति के बारे में कोई जानकारी न मिलने के कारण पर्यटकों के परिवार के सदस्यों की चिंता बढ़ती जा रही थी। उत्तराखंड के अधिकारियों के अनुसार, बचाव अभियान जारी है। सभी पर्यटकों को हर्षिल हेलीपैड से हेलीकॉप्टर, बसों और ज़रूरत पड़ने पर पैदल गंगोत्री ले जाया जाएगा। उनकी सुरक्षा के लिए आईटीबीपी की दस टीमें तैनात की गई हैं, जिनमें से प्रत्येक 30 तीर्थयात्रियों को ले जाने के लिए ज़िम्मेदार है। 
 

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